" धन्य - धन्य वे हे नर  मैले जो करत गात ​कनिया ​लगाय ​धूरि ऐसे लरिकान की " इस ​पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

एक पंक्ति का आशय इस प्रकार है- वे व्यक्ति धन्य हैं, जो धूल से सने बालकों को अपनी गोद में उठाते हैं और उन पर लगी धूल का स्पर्श करते हैं। बच्चों के साथ उनका शरीर भी धूल से सन जाता है। इसके द्वारा व्यक्ति उन लोगों के प्रति श्रद्धा का भाव व्यक्त करना चाहता है, जो धूल के संसर्ग से बचते नहीं है।  

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