"वान : वरदान या अभशाप" इस वषय पर अपने शद म    अनुछेद लखए I
fast plz epert plz full answer

हमारी वनसंपदा हमारे जीवन का स्रोत है। यह ऐसा वरदान है, जो मनुष्य के लिए फलदायी है। इससे किसी भी प्रकार से हमें नुकसान नहीं पहुँचाते हैं। अतः इन्हें अभिशाप नहीं कहा जा सकता है। यदि यह नहीं है, तो हमें अपने जीवन की कल्पना करना छोड़ देना चाहिए। मनुष्य को जीवित रहने के लिए भोजन, पानी और हवा की आवश्यकता है। वन संपदा हमारी तीनों आवश्कताओं की पूर्ति करती है। यह प्रकृति सुंतलन बनाए रखती है और ऋतुओं को नियंत्रित करती है। वायु को शुद्ध बनाती है तथा पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकती है। हमारे साथ-साथ इस पृथ्वी के बहुत से जीव-जन्तु भी इस वन संपदा पर निर्भर हैं। इसके महत्व को जानने के बाद भी हम इस वन संपदा की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं। इससे प्रकृति को बहुत नुकसान हो रहा है। ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ रहा है। प्रकृति अंसुतलन इसका दुष्परिणाम है। इसी वन संपदा को बचाने के लिए वन महोत्सव 1950 में मनाना आरंभ किया गया था। इसमें वनों को विशेष महत्व दिया जाता है और वहाँ पर बहुत से पेड़ लगाकर उन्हें पुनः जीवित करने का प्रयास किया जाता है। हमारे देश में पेड़ों को विशेष रूप से पूजा जाता है। माना जाता है कि पेड़ देवता के समान है, जो मनुष्य के जीवन में बहुत काम आते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में इन्हें विशेष स्थान दिया गया है। कुछ पेड़ों की टहनियाँ तथा पत्ते पूजा सामग्री में भी प्रयोग में लाए जाते हैं। इससे पता चलता है कि प्राचीन समय से ही लोग पेड़ों के महत्व को भली-भांति से समझते थे।

  • 0
What are you looking for?