अनुछेद पर :
​ ​अनेकता में एकता - ​भारत की विशेषता (80 ​​से 100 शबदो )

मित्र!
एकता में अनेकता पंक्ति एक गूढ़ सत्य को दर्शाती है। यह ऐसा मंत्र है, जिन्होंने सीख लिया फिर वे ऐसी शक्ति के रूप में उभरते हैं कि दुनिया उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। प्रत्येक मनुष्य का स्वभाव, जाति, धर्म इत्यादि अलग-अलग होते हैं। इस आधार पर मनुष्य स्वयं को टुकड़ों में विभाजित कर लेता है। परिणाम कोई और उनका फायदा उठा लेता है और उन पर राज करता है। भारत की भी कुछ सालों पहले यही स्थिति थी। यहाँ पर अनेक जाति, धर्म, स्वभाव के लोग विद्यमान थे। इसका फायदा उठाकर अंग्रेज़ों ने इन्हें गुलाम बनाकर रखा। जब भारतीयों को स्थिति समझ में आई, तो अंग्रेज़ पूरा देश खाली कर चूके थे। तब भारत में रहने वाले सभी लोग एक हो गए और भारतीय बनकर अंग्रेज़ों का सामना किया। हाथ की पाँच अंगुलियाँ जब मिल जाती है, तो मुट्ठी बनाती है। इस मुट्ठी की ताकत के सामने अच्छे-अच्छे गिर जाते हैं। 

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