200 words essay on "Mother Teresa" in hindi

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 में युगोस्लाविया में हुआ था। उनका असली नाम एकनेस गोनक्शा बोचाक्सिहउ था। उनके पिता एक व्यवसायी थे। वे एक रोमन कैथोलिक चर्च की सदस्य थीं। इसके बीज बाल्यावस्था से ही उनके हृदय में विद्यमान थे। वे 1930 में एक नन के रूप में भारत आई और यहीं की होकर रह गई। भारत आकर उन्होंने यहाँ-वहाँ पड़े मरीज़ों, विकलांगों और गरीबों की दयनीय स्थिति देखी। इसे देखकर वे स्वयं को रोक नहीं पाई और उनकी सेवा में लग गई। उन्होंने अपना कर्म स्थल कलकत्ता को बनाया। यहाँ पर मिशनरीज़ की भी स्थापना की। उन्होंने लोगों की सेवा में कभी कोई कमी नहीं की। वे पूरे सेवाभाव से लोगों की सेवा करती रहीं। जब तक वे जीवित रहीं, तब तक वे लोगों की सेवा ही करती रहीं। उनकी सेवा के आगे पूरा भारत आज भी नतमस्तक है।
उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें 1980 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1962 में उन्हें पद्मश्री और 1679 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके निस्वार्थ सेवाभाव ने पूरे विश्व को झुका दिया। 5 सिंतबर 1997 को वे इस दुनिया से सदा के लिए विदा हो गईं। वे ऐसी श्रापभ्रष्ट देवी थीं, जिनके स्पर्शमात्र से ही दुखियों के कष्ट दूर हो जाया करते थे।

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