A essay in hindi for 'Ahankar Agantha Ka Suchk Ae'

मित्र हम आपको इस विषय पर आरंभ करके दे रहे हैं। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करें। इससे आपका अच्छा अभ्यास होगा तथा लेखन काैशल बढेगा। 

मनुष्य में जहाँ कुछ गुण होते हैं, वहीं कुछ अवगुण भी उसमें समाहित होते हैं। सच्चाई, त्याग, ईमानदारी, साहस, वीरता आदि कुछ एेसे ही गुण हैं। जब व्यक्ति को साहस तथा वीरता जैसे गुणों के साथ-साथ धन-संपत्ति की भी प्राप्ति हो जाती है तो उसे अहंकार नामक अवगुण घेर लेता है। वह स्वयं को सबसे महान समझने लगता है, परंतु वह यह नहीं जानता कि अहंकार विनाश का मूल है। पाैराणिक ग्रंथों पर दृष्टि डालने पर अनेक एेसे उदाहरण देखे जा सकते हैं। रावण जैसा विद्वान तथा विश्वविजयी राजा अपने अहंकार के कारण काल का ग्रास बना। परशुराम जैसे ज्ञानी ब्राह्मण को भी अपना अहंकार छोड़कर राम के शील के अागे झुकना पड़ा। इसी प्रकार इतिहास के अंतर्गत राजा अशोक का अहंकार भी युद्धभूमि में भीषण नरसंहार को देखकर चूर-चूर हो गया। अहंकार व्यक्ति को अवनति की आेर अग्रसर कर देता है। अत: मनुष्य को अपने ऊपर कभी अभिमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये नरक का द्वार है। इससे मनुष्य का केवल विनाश हो सकता है। 

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