aadmi nama poem in brief

'आदमी नामा' नज़ीर अकबराबादी की उत्कृष्ट रचना है। यह रचना उन रचनाओं की श्रेणी में आती है, जो हमें अपने स्वरूप को सोचने, समझने और जानने के लिए विवश करती है। इन रचनाओं में कवि किसी को नीचा नहीं दिखाता, बल्कि यह सोचने पर विवश कर देता है कि हम क्या हैं? क्या ईश्वर ने हमें ऐसा बनाया था, जो आज हम हैं? आदमी नामा ऐसी ही कविता है। नज़ीर जी हँसी-हँसी में गहराई वाली बातें बता देते हैं। आदमी नामा में उन्होंने मनुष्य को उसका प्रतिबिम्ब दिखाने का प्रयास किया है। उनके अनुसार इस संसार में जितने भी लोग विद्यमान हैं, वह सब एक ही हैं। परन्तु हमने उन्हें राजा-रंक, अमीर-गरीब, अच्छे-बुरे आदि में बाँट दिया है। हमारे ऐसा करने से संसार भी टुकडों में विभाजित हो  गया है। यदि मनुष्य इस अंतर को समाप्त कर दे, तो यह संसार सुंदर हो जाए। संसार में सारी विषमताएँ, लड़ाई-झगड़े, बैर सभी समाप्त हो जाए।

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