aadminaama ka bhav spasht kijiye. kripya jaldh se jaldh uttar dene ki koshish kijiye.

आदमीनामा कविता का भाव है कि मनुष्य को यह समझना चाहिए कि इस संसार में जो भी मनुष्य हैं, वह उसके भाई के समान है। उसे किसी के भी साथ जाति, धर्म तथा धन के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। भगवान ने सबको समान बनाया है और हमें उसकी इस भावना का सम्मान करते हुए सबके साथ प्रेम तथा भाईचारे का व्यवहार करना चाहिए। यही मनुष्यता है और यही मनुष्य का धर्म है।

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aadminama ka bhav ye hai ki iss duniya me har koi manushya hai.phrk sirf itna hai ki koi amir hai to koi garib koi bada hai to koi chotta

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