an essay on "apne loye jiye toh kya jiye"
मित्र हम आपको कुछ पंक्ति लिखकर दे रहे हैं। कृपया आप स्वयं विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करें। इससे आपके लेखन कौशल का विकास होगा।
मनुष्य अपना पूरा जीवन अपने सुख-सुविधाओं को जुटाने में लगा देते हैं। वे अपने जीवन में धन, यश आदि कमाना चाहते हैं। इसे प्राप्त करते-करते उनके जीवन का अंत हो जाता है। वह जितना भी जीते है, वह स्वयं के लिए जीते हैं। परंतु यहाँ प्रश्न उठता है कि क्या वास्तव में यह जीना, जीवन है। स्वयं के लिए जीवन जीना, जीना नहीं होता। अपने लिए सभी जीते हैं, परन्तु जो दूसरों के लिए जिए सही मायने में वही जीवन है। यही जीवन का परम रहस्य है। ऋषि-मुनि हज़ारों सालों तक तपस्या ईश्वर को पाने के लिए नहीं करते थे अपितु वह उस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए तपस्या करते थे, जिससे वह दूसरों का उद्धार कर सकें।...................
मनुष्य अपना पूरा जीवन अपने सुख-सुविधाओं को जुटाने में लगा देते हैं। वे अपने जीवन में धन, यश आदि कमाना चाहते हैं। इसे प्राप्त करते-करते उनके जीवन का अंत हो जाता है। वह जितना भी जीते है, वह स्वयं के लिए जीते हैं। परंतु यहाँ प्रश्न उठता है कि क्या वास्तव में यह जीना, जीवन है। स्वयं के लिए जीवन जीना, जीना नहीं होता। अपने लिए सभी जीते हैं, परन्तु जो दूसरों के लिए जिए सही मायने में वही जीवन है। यही जीवन का परम रहस्य है। ऋषि-मुनि हज़ारों सालों तक तपस्या ईश्वर को पाने के लिए नहीं करते थे अपितु वह उस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए तपस्या करते थे, जिससे वह दूसरों का उद्धार कर सकें।...................