anuched lekhan(paragraph writing)- bura jo dekhan main chala bura na milya koi
pls give answer ..or atleast suggest some points
its important nd urgent.....
मनुष्य द्वारा बार-बार यह कहा जाता है कि आज की दुनिया मतलबी, धोखेबाज़ों से भरी पड़ी है। सब एक-दूसरे पर लांछन लगाते रहते हैं। जो किसी के द्वारा धोखा पाया हुआ होता है, उसे तो सारी दुनिया धोखेबाज़ों से भरी हुई दिखाई देती है। परन्तु यह कहाँ तक सत्य है। हम भूल जाते हैं कि हम स्वयं कितने पाक दामन है। क्या हमने कभी ऐसा काम नहीं किया जो किसी के दुख का कारण बना हो। आज के समय में मनुष्य जाने-अनजाने हज़ारों बार झूठ बोलता है। हज़ारों बार बुरे काम करता है। ऐसा करने के लिए उसके पास कारण भी तैयार होते हैं। परन्तु फिर भी दूसरों पर अंगुली उठाने से हम बाज़ नहीं आते हैं। परन्तु जब बात अपने ह्दय में देखने की आती है, तो हम आँखें मूंद लेते हैं। कबीर दास जी यही कहते हैं कि बुरा जो देखन मैं चला, मुझसा बुरा न कोय अर्थात जब मैंने इस संसार में बुराई देखने का प्रयास किया तो मुझे अपने से ज्यादा बुराई कहीं नहीं दिखाई दी। हमें चाहिए कि किसी दूसरे को बुरा भला कहने से पहले स्वयं के अंदर झाँककर देखें। जो मनुष्य अपने अंदर व्याप्त बुराइयों को देख पाता है और उन्हें स्वीकार कर पाता है, उससे बड़ा मनुष्य इस संसार में कोई नहीं है। क्योंकि दूसरों की बुराई सबको दिखाई देती है परन्तु अपने अंदर की बुराई कम ही लोग देख पाते हैं। यदि इस प्रकार का व्यवहार हर मनुष्य करने लगे तो वह समय दूर नहीं जब एक भी बुराई इस संसार में शेष नहीं रहेगी।