" atithi devo bhava" vakya kivyakhya karkeaadhunikyug kesandharbmein apnevichar prastutkarein .

नमस्कार मित्र,
आपकी समस्या के समाधान के लिए हम आपको उत्तर लिखकर दे रहे हैं।

'अतिथि देवो भव:' का अर्थ है- मेहमान भगवान के समान होता है। उसका आदर करना चाहिए। अतिथि देवो भवः आज भी हमारी संस्कृति में रचा-बसा है।आज लोगों के पास समय की कमी है। परन्तु यह कहना कि वे अतिथि का सम्मान नहीं करते हैं, उचित नहीं होगा। मुम्बई का ताज होटल हमारे अातिथ्य सत्कार का ज्वलंत उदाहरण है। वहाँ के कर्मचारियों ने आंतकवादी हमले के समय होटल से भागने के स्थान पर देश में आए अतिथियों की रक्षा करना अपना परम कर्तव्य माना। कई कर्मचारियों ने सिर्फ अपने प्राण इसलिए गंवा दिए क्योंकि वे अपने देश में आए अतिथियों की रक्षा और सेवा को अपना धर्म मानते थे। उनके इस कार्य ने पूरे विश्व में भारत का सम्मान बढ़ा दिया है। हमने यह सिद्ध कर दिया कि हम आज भी अतिथि को देवता के समान मानते हैं।

​आशा करते हैं कि दिए गए उत्तर से आपकी समस्या का समाधान हो गया होगा। अगर आपको इस प्रश्न से संबंधित और कोई समस्या हो तो आप हमें Ask and Answer पर भी संपर्क कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपकी समस्या का समाधान करने का प्रयास करेंगे। 
 

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