bhagwan ram ki bahan ke upar 1 lekh

ravan ke pita ke upar

Q.

Raavan ke nana Malyawan, Maali aur Sumaali ke mata pita ka kya naam tha? in sab ke bare me bataye

नमस्कार मित्र,

विद्युतकेस एक विलासी राजा था। राजमद मेंआकर उसने अपने पुत्र को फेंक दिया था, जिसका नाम सुकेस था। उसके इस पुत्र का लालन-पालन भगवान शंकरतथा माँ पार्वती ने किया था। आगे चलकरसुकेस केतीन पुत्र हुये। जिनमेंमाल्यवान, माली और सुमाली थे। तीनोंभाईयों ने अपने तेज, शौर्य और पराक्रम से त्रिकुट-सुबेल पर्वत पर लंकापुरी बसाई थी। इन तीनों का विवाह नर्मदा नाम की गंधर्वी ने अपनी तीन पुत्रियों से कराया था। माल्यवान के वज्रमुष्टि, विरूपाक्ष, दुर्मुख, सुप्तघन, यज्ञकोश, मत्त और उन्मत्त नामक सात पुत्र हुए थे। इसी तरह सुमाली के केतुमती सेप्रहस्त्र, अकम्पन, विकट, कालिकामुख, धूम्राक्ष, दण्ड सुपाशर्व, संह्नादि, प्रधस और भारकर्ण नामक दस पुत्र और एक कन्या कैकसी हुई तथा माली के अनिल, हर, अनल और सम्पाती नामक चार पुत्र हुए थे। इन तीनों ने लगातार युद्ध किया और आसपास के द्वीपोंपर कब्‍जा कर लिया था। इन्होंने अपने पराक्रम सेलंका में स्‍वर्ण, रत्‍न और मणि का विशाल भंडार इकट्‌ठा कर लिया। काश्‍यप सागर के किनारे बसे द्वीप में स्‍थित सोने की खानों पर आधिपत्‍य को लेकर भंयकर देवासुर संग्राम हुआ। जिसमेंदेवताओं की तरफ से विष्णु भगवान ने उनकी सहायता की। इस युद्ध में ये तीनों भाई भी शामिल हुए। इसमें माली मारा गया और दैत्‍यों की हार हुई। देवताओं के आतंक से भयभीत होकर सुमाली और माल्‍यवान अपने परिवारों के साथ पाताल लोक भाग गए। इसके बाद लंका का राज्य आर्योंऔर देवों की सहमति से कुबेर को सौंपदिया गया। 

लंका को पुनः पाने कीलालसा से सुमाली अपने दसपुत्रों और रूपवती कन्‍या कैकसी केसाथ पाताल लोक में चलागया था। उसने पुलस्‍त्‍य (जो की ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक थे और रावण के दादा थे दादा)पुत्र विश्रवा के आश्रम में शरण ली। पुलस्त्य ऋषिके बारे में कहा जाता हैकि वह एक बार मेरु पर्वतपर तप करने गए। वहाँ त्रणविन्दु के आश्रम में वे रहने लगे। वहाँ देव कन्याएँ औरऋषि कन्याएँ जल क्रीडा किया करती थी।पुलस्त्य जी ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि जो कन्या उनके सामने आएगी वह गर्भवती हो जाएगी।त्रणविन्दु की कन्या भूल से उनके सामने आ गई और वह गर्भवती हो गई।त्रणविन्दु ने अपनेपुत्र को पुलस्त्य ऋषि को सौंप दिया। यही पुत्र आगे चलकरविश्रवा ऋषि के नाम से जाने गए। आगे चलकर भारद्वाज की कन्या का विवाह विश्रवा ऋषि से हुआ, जिनसे उनकापुत्र वैश्रवण अर्थात कुबेर हुआ। सुमाली जानता था कि वह देवताओं से अपने प्रतिशोध तभी ले सकता है, जब उसका नाती देवताओं और राक्षसों के समान शक्तिशाली हो। अतः उसने अपनी पुत्री केकसी को विश्रवा से विवाह करने का निवेदन किया। केकसी पिता की इच्छा पूर्ति के लिए ऋषि विश्रवा के पास चली गई।केकसी ने ऋषि विश्रवा से प्रणय निवेदन किया।ऋषि ने कहा तुम संध्या समय यह निवेदन लेकर आयी हो ,अत: तुम्हारे पुत्र राक्षस होंगे ,तीसरा पुत्र महात्मा होगा। विश्रवा ऋषि ने अपनी पहली पत्नी को छोड़करकैकसी से विवाह कर लिया।उन्हीं दोनों की तीन संतान हुई, जिसमेंरावण, कुंभकरण, विभीषण और एक पुत्री शूर्पनखा थी। 


 

इस बात का उल्लेख न के बराबर है कि भगवान राम की कोई बहन भी थी। क्योंकि अधिकत ग्रंथों में इसका उल्लेख नहीं मिलता है। परन्तु कहा जाता है। रानी कौशल्या ने एक कन्या को जन्म को दिया था जिसका नाम शांता था। राजा दशरथ ने अपने बाल सखा रोमपाद को वह कन्या गोद दे दी थी। कहा जाता है अंगनरेश रोमपाद के कोई संतान नहीं थी और ना ही उनके कोई भाई-बहन था। अपने मित्र की संतान की समस्या को दूर करने हेतु राजा दशरथ ने अपनी पहली संतान इन्हें गोद दे दी थी। आगे चलकर रोमपाद ने इस कन्या का लालन-पालन किया। एक बार की बाद है कि उनके द्वारा राज्य के ब्राह्माणों का अपमान हो गया। सारे कुपित ब्राह्मण क्रोधित होकर अंग देश छोड़कर चले गए। इसका परिणाम यह हुआ कि उनके राज्य में अकाल पड़ गया। जब राजा को अपनी भूल ज्ञात हुई तो उन्हें बहुत पश्चाताप हुआ। उन्होंने इसके उपाय हेतु सभी ब्राह्मणों से क्षमायाचना मांगी और अपनी गलती को सुधारने हेतु उपाय पूछा। उन्हें बताया गया कि यदि ऋषि ऋष्यश्रृंग अंगदेश आ जाएं तो वर्षा हो सकती है। राजा रोमपाद के अथक प्रयास से ऋषि ऋष्यश्रृंग अंगदेश आए। उनके आते ही आकाश में मेघ छा गये और भरपूर वर्षा होने लगी। इस पर खुश हो राजा रोमपाद ने अपनी गोद ली हुई कन्या का विवाह ऋषि के साथ कर दिया। वह पति के साथ वन में रहने चली गयी इसलिए उनका उल्लेख अधिक नहीं मिलता है।


 

  • 0
What are you looking for?