bhartiya samaj me vidhya ka mahatva....

मित्र समाज कोई भी हो उसमें विद्या का अपना ही महत्व है। हम इस विषय पर आपको कुछ पंक्तियाँ लिखकर दे रहे हैं। इसे आप स्वयं आगे विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास कीजिए-

भारतीय समाज में प्राचीनकाल से ही शिक्षा का अभाव था। भारतीय समाज चूंकि ब्राह्माण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्रों में विभाजित था इसलिए शिक्षा का अधिकार कुछ वर्ग तक ही सीमित था। धीरे-धीरे अशिक्षा का स्तर फैलता चला गया। आगे चलकर यह व्यापक रूप में फैल गया। इसका प्रभाव यह पड़ा कि विदेशी ताकतों ने इसका लाभ उठाकर भारत पर कब्जा कर लिया। भारतीय समाज की अशिक्षा का इन्होंने फायदा उठाया और भारत को लंबे समय तक गुलाम बनाए रखा। जब देश के बड़े नेताओं का ध्यान इस ओर गया, तो उन्होंने साक्षरता अभियान चलाए और उनके परिणामस्वरूप भारत आज़ाद हो गया। आज भी भारत में अशिक्षा का प्रसार है परन्तु उसकी दर पहले की अपेक्षा कम है। यही कारण है कि यहाँ  जटिलताएं कम देखी जा रही हैं।

शिक्षा मनुष्य के मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए बहुत आवश्यक है। शिक्षा मनुष्य के लिए नए संसार के द्वार खोल देती है। वह दुनिया को समझने जानने लगता है। उसे अपने अधिकारों का भान होता है। इससे वह दूसरों के अत्याचार और शोषण से बच सकता है। भारतीय समाज में जहाँ जातिवाद, धार्मिक संकीर्णताएँ विद्यमान है, वहाँ शिक्षा बहुत कारगर साबित हो सकती है। क्योंकि शिक्षा मनुष्य को नहीं सोच देती है, उसे सही गलत की पहचान कराती है। उसके अंधविश्वासों और रूढिवादी परंपराओं को तोड़ने में सहायक सिद्ध होती है। जैसे ही भारतीय समाज में शिक्षा का प्रसार सौ प्रतिशत हो जाएगा, वैसी ही इसका अलग ही रूप सामने आएगा। आज़ादी के बाद ये जटिलताएँ कम हुई हैं, तो केवल शिक्षा के कारण।

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