bhashan in hindi on bhautikta and adhyatmikta

मित्र हम आपको इस विषय पर भाषण लिखकर दे रहे हैं।
वर्तमान समय आधुनिक समय है। समय बदल रहा है और इन बदलावों ने मनुष्य के नैतिक मूल्यों का ह्रास किया है। धन-संपदा को पाने की होड़ ने मनुष्य को स्वार्थी बना दिया है। विलासिता और भौतिकता के नशे में डूबा हुआ, वह धन को ही जीवन का परम सत्य समझने लगा है। अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए वह नैतिक और अनैतिक दोनों कार्यों को बिना हिचक कर रहा है। नैतिक मूल्य मनुष्य को सभ्य बनाते हैं। ये मूल्य उसे मनुष्यता के गुण से जोड़े रखते हैं। इनके अभाव में मनुष्य में अब चारित्रिक विशेषताएँ लुप्त-सी हो रही हैं। जहाँ एक ओर सच्चाई, ईमानदारी, सदाचार, सत्यता, बड़ों का सम्मान आदि बातें चरित्र का मुख्य आधार हुआ करती थीं। आज ये विशेषताएँ कहीं खो सी गई हैं। आज बाहरी सुंदरता को इतना महत्व दिया जाता है कि नैतिक मूल्यों के लिए स्थान ही नहीं बचता है। इस कारण समाज का कितना अहित हो रहा है, इस सत्य से मनुष्य अनजाना है। एक बच्चा समाज में रहकर ही अपना स्वरूप पाता है। यदि समाज ही विकारग्रस्त है, तो बच्चे में यह विकार अपने-आप आ जाएँगे। ऐसे में बच्चा नैतिक मूल्यों को सीख पाएगा, यह कहना कठिन है। नैतिक मूल्यों के विकास में एक शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जब भी समाज दिशाहीन हुआ है, शिक्षकों ने समाज को दिशाहीन होने से रोका है। वे बच्चों के अंदर नैतिक मूल्यों का समावेश बड़ी सरलता से कर पाते हैं। इसका कारण है कि लंबे समय तक बच्चा उनकी छत्र-छाया में रहता है। शिक्षक की कही हर बात बच्चे के अंतरमन में घर कर जाती है। शिक्षक जो सिखाता है, बच्चे उसका ही अनुसरण करते हैं। अत:यदि बच्चों में नैतिक शिक्षा के बीज डालने हैं, तो शिक्षक को स्वयं के व्यक्तित्व को आदर्श बनाना होगा। शिक्षा के स्तर को भी सुधारना आवश्यक है। शिक्षा में नैतिक मूल्यों से युक्त कहानियाँ डालने से भी बच्चों को इनके महत्व से अवगत कराया जा सकता है और नैतिक मूल्यों का समावेश किया जा सकता है। 

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