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भूकंप एक आपदा
आज पृथ्वी में इस आपदा से हर साल जान व माल का बहुत भारी नुकसान होता है। यह आपदा अचानक व कुछ पलों में सब कुछ स्वाहा कर देती है। मनुष्य जब तक कुछ समझ पाता है। यह आपदा उसका सब कुछ तबाह कर चुकी होती है। इस आपदा से बचने के लिए ना ही उसके पास कोई कारगर उपाय न ही कोई कारगर यंत्र जो उससे सही समय पर अवगत कराकर होने वाले नुकसान को बचाया जा सके।
पृथ्वी की परतों के बीच अचानक हुए घर्षण के कारण उत्पन्न ऊर्जा से भूकंप आता है व ज्वालमुखियों में हो रही गतिविधियाँ भी भूकंप होने का कारण होती है। जापान ऐसा देश है जिसे ज्वालामुखियों का देश कहा जाता है। यहाँ पर भूकंप का प्रकोप आप रूप से देखा जाता है। भूकंप की तीव्रता तीन या कम रिक्टर की तीव्रता को गंभीर नहीं लिया जाता परन्तु सात रिक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़ें भू-भाग में गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है। भूकंप एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यह ऐसी आपदा है जिससे निपटना मनुष्य के बस में नहीं है। यह आपदा कब आए व कब सबको अपना शिकार बना जाए कोई कह नहीं सकता।
भूकंप में धरती फट जाती है व तीव्र झटके लगते हैं। धरती में बहुत तेज कंपन्न होती है जिससे बड़ी-बड़ी इमारतें पत्तों की भांति ढह जाती है। सारा शहर या तो ढह जाता है या धरती फटने से उसमें समा भी सकता है। भूकंप से समुद्र में सुनामी आने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि यदि भूकंप से उठने वाली तेज तरंगों का प्रभाव क्षेत्र समुद्र की सतह है तो यह सीधा प्रभाव लहरों पर डालती है, जिससे लहरे विशाल व भयानक रूप धारण कर भंयकर तबाही ला सकती हैं। भूकंप से भूखलन व हिमखलन भी होता है। इसकी तरंगों के क्षेत्र में जो भी स्थान आता है वहाँ भंयकर स्थिति उत्पन्न हो जाती है।  
भारत में भुज पर आए भूकंप ने जो विनाशकारी तांडव मचाया था उसे भुलना संभव नहीं होगा। रातों-रात पूरा हंसता खेलता भुज विनाश का सजीव चित्रण बन गया था। 26 जनवरी, 2001 को आए इस भूकंप के कारण 12 हज़ार लोग मारे गए थे और लगभग एक लाख लोग बेघर हो गए थे. साथ ही लगभग 15 हज़ार करोड़ की संपत्ति का नुक़सान हुआ था। कोई भी ऐसा देश नहीं है जो इस आपदा से बचा रहा हो।
 
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढ़ेरों शुभकामनाएँ!

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