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मित्र हम आपको दो सवैये की व्याख्या दे रहे हैं। परन्तु जल्द ही हम अपने सदस्यों को इसकी संपूर्ण व्याख्या उपलब्ध करवाने का प्रयास करेंगे।

  1. रसखान जी कहते हैं कि यदि मुझे मनुष्य जन्म मिलेगा, तो मैं गोकुल के गाँव में ग्वालों के बीच में रहना पसंद करूँगा। पुनः जन्म लेने में कौन-सी योनी मिले इस विषय में मेरा अपना कोई वश नहीं है। अतः यदि मुझे पशु का जन्म मिलता है, तो में गाय के रूप में नंद की गाय के मध्य चरना पसंद करूँगा। वह कहते हैं कि यदि में पत्थर के रूप में जन्म लूँगा, तो गोवर्धन पर्वत के पत्थर के रूप जन्म लेना चाहूँगा क्योंकि इसे प्रभु हरि ने अपनी छोटी अँगुली में उठाया था और यदि पक्षी का जन्म मिला, तो मैं यमुना के तीर पर स्थित कदंब के वृक्षों पर बसना चाहूँगा। भाव यह है कि कवि को अपने आराध्य देव की भूमि तथा उनसे जुड़ी हर वस्तु से बहुत प्रेम है।
  2. रसखान जी कहते हैं कि लाठी पकड़े और कंधे पर कंबल धारण किए हुए भगवान कृष्ण के इस रूप पर तीनों लोकों का सुख न्यौछावर किया जा सकता है। नंद बाबा की गाय चराने के सुख के आगे आठ सिद्धियाँ तथा नौ निधियों को भी भुलाया जा सकता है। कवि आगे कहते हैं कि कृष्ण की क्रीड़ा स्थली ब्रज के बन-बाग तथा तालाब के जबसे दर्शन किए हैं, तबसे सब प्रकार के सुख मुझे बेकार जान पड़ते हैं। कवि यमुना के किनारे पर स्थित करील-कदंब के पेड़ों पर अनेक स्वर्ण महलों का सुख न्यौछावर कर सकते हैं। भाव यह है की भगवान तथा उनसे जुड़ी वस्तुओं से बढ़कर इस संसार में और कुछ विशेष नहीं है।

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sawaiyn written by raskan.......lesson 11 of shitij

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