Cinema ka itihas.

उत्तर–

हिन्दी सिनेमा भारतीयों की जान है। यह सपनों की नगरी मुंबई में स्थित है। इसका क्षेत्र बड़ा व्यापक है। यहाँ प्रतिवर्ष अनगिनत फिल्में बनती है। भारतीय सिनेमा आज भारत, पाकिस्तान, तथा कई देशों में बसे भारतीयों के मनोरंजन के लिए पिछले सौ सालों से कार्य कर रहा है। यह भारतीय शैली का मुख्य अंग है। यह 1896 से भारत में फिल्मों का आरंभ हो गया था। परन्तु वे फिल्में भारतीय पृष्ठभूमि से भिन्न थी। आम भारतीय इसे देखना उचित नहीं मानते थे। परन्तु दादासाहबे फालके द्वारा निर्मित राजा हरिशचंद्र 1913 ने भारत में अपनी धाक जमा दी और लोकप्रियता की सारे हदें प्राप्त कर दी। यह वह समय था जब हर वर्ष भारत में दो सौ फिल्में बनाई जा रही थी। परन्तु यह मूक सिनेमा का समय था। लोग परदे पर पात्रों को क्रियाकलाप करते देखा करते थे। इस समय सिनेमा में आवाज़ का आविष्कार नहीं हुआ था। फिर क्या था, अरदेशिर ईरानी के प्रयासों ने हिन्दी सिनेमा का आवाज़ दे दी और उनकी पहली बोलती फिल्म आलम आरा ने दर्शकों को अपनी आवाज़ के जादू से इस कदर खींचा की यह उस समय की सबसे प्रसिद्ध और धन कमाने वाली फिल्म बन गई। धीरे-धीरे देश आज़ादी की ओर अग्रसर होने लगा। देश में आज़ादी पर फिल्में बनने लगी। हिंदी सिनेमा ने 1950 के समय में रंगों का हार पहना और फिल्में रंगीन बनने लगी। आज यह सिनेमा हालिवुड के बाद सबसे लोकप्रिय हैं।  

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