Dear Experts,
Please give me the summary of the chapter "Kya Nirash Hua Jaaye".

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'क्या निराश हुआ जाए ' पाठ के माध्यम से लेखक ह़जारी प्रसाद द्विवेदी यह बात सबके सम्मुख रखते हैं कि समाज में आज भी ऐसे लोग होते हैं, जो दूसरों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। लेखक कहता है कि दूसरों के द्वारा हमें कई बार धोखा दिया जाता है, उस धोखे के कारण हमारा लोगों पर से विश्वास समाप्त हो जाता है। परन्तु यह सच नहीं है। लेखक के अनुसार जिन लोगों ने मुसीबत के समय हमारी सहायता की थी, उन्हें याद कर इस बात को मानना चाहिए कि अब भी दुनिया में अच्छे लोग विद्यमान हैं। यह बात हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या अब भी निराश हुआ जाए अर्थात् जब तक दुनिया में इस तरह के लोग हैं, हमें निराश होने की आवश्यकता नहीं है।

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