'dharm ek vyaapaar' vishya par ek essay ya paragraph de kr samjhaiye plzzzzz!!

नमस्कार मित्र,

धन की लिप्सा मनुष्य को हर अनैतिककार्य करने के लिए प्रेरित करती है और वेकरतेचलेजातेहैं। धर्म भी इस अनैतिकता से स्वयं को नहीं बचा पाया है। धर्म का कार्य है मनुष्य कोअच्छी शिक्षा देना,उसे सदाचार सिखाना, लोगों के प्रति दया, ममता और सेवा का भाव जागृत करना, भटके हुए को रास्तादिखाना। परन्तु विडंबना देखिए कि आज यह स्वयं ही दिशा हीन हो गया है। इन कार्यों से तो जैसे इसका कोई सरोकार ही नहीं है। कुछ लोगों ने मिलकर इसे ही व्यापार बना लिया है। उनका धर्म और उसकी बातों से कोई सरोकार नहीं है, वह मात्र लोगों से पैसा ऐंठने का माध्यम बन गया है। यह एक व्यापार की तरह हो गया है। लोगों को थोड़े से प्रवचन और प्राचीन ग्रंथों को सुनाकर अपनी ओर आकर्षित किया जाता है। उसके बदले चढ़ावे के रूप में धनराशि एकत्र हो जाती है। इस व्यापार में कुछ लगाने की आवश्यकता नहीं है। बस यह तो वही कहावत सिद्ध करती है- हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखा हो जाए। बस भगवा चोला धारण करना है, लंबा सा तिलक लगाना है और गले में तुलसी और रूद्राक्ष की माला धारण कर और ग्रंथों को कण्ठस्थ याद कर स्वयं को गुरु घोषित कर दिया जाता है। यह व्यापार मनुष्य जाति को पतन की ओर लेकर जा रहा है।

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