dharm ko raajneeti se jodna uchit hai. debate on this topic in support of it in around 200-250 words
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
धर्म को राजनीति से जोड़ना उचित नहीं है। यह एक पवित्र भावना है। इसका मनुष्य से गहरा संबंध है। यह संबंध बाल्यकाल से लेकर मृत्यु तक विद्यमान रहता है। धर्म के माध्यम से ही मनुष्य के अंदर डर विद्यमान रहा है। धर्म उसे सही मार्ग में ले जाने का कार्य करता है। धर्म के साथ यदि कोई बात जुड़ जाती है, तो मनुष्य के लिए यह पत्थर की लकीर के समान हो जाती है। उसके बाद वह फिर कुछ सोचता नहीं है। वह भूल जाता है कि उसका फायदा उठाया जा रहा है। कुछ असामाजिक तत्व राजनीति में धर्म का सहारा लेकर उन्हें गुमराह करते हैं। इस तरह वह इनके नाम पर अपने स्वार्थ की रोटियाँ सेकते हैं। राजनीति के ठेकेदारों ने इसे हथियार के रूप में प्रयोग करना आरंभ कर दिया है।
यह ऐसा हथियार है, जिसका प्रयोग करके जीत निश्चित है। यही कारण है कि हर राजनीति पार्टी धर्म रूओं के साथ जुड़ी हुई है। धर्म एक पवित्र भावना है। इसे समाज सुधार के लिए कार्य करना चाहिए। इसे राजनीति में नहीं मिलना चाहिए। यदि धर्म ही मनुष्य को धोखा देने लगा, तो एक दिन मनुष्य का इस पर से विश्वास समाप्त हो जाएगा। अतः हमें इसे धर्म से अलग रखना चाहिए।
यह ऐसा हथियार है, जिसका प्रयोग करके जीत निश्चित है। यही कारण है कि हर राजनीति पार्टी धर्म रूओं के साथ जुड़ी हुई है। धर्म एक पवित्र भावना है। इसे समाज सुधार के लिए कार्य करना चाहिए। इसे राजनीति में नहीं मिलना चाहिए। यदि धर्म ही मनुष्य को धोखा देने लगा, तो एक दिन मनुष्य का इस पर से विश्वास समाप्त हो जाएगा। अतः हमें इसे धर्म से अलग रखना चाहिए।