dhool par dohe
नमस्कार मित्र!
रहिमन ठहरी धूरि की, रही पवन ते पूरि
गाँठ युक्ति की खुलि गयी, अंत धूरि को धूरि
गाँठ युक्ति की खुलि गयी, अंत धूरि को धूरि
संत रहीम कहते हैं ठहरी हुई धूल हवा चलने से स्थिर नहीं रहती, जैसे व्यक्ति की नीति का रहस्य यदि खुल जाये तो अंतत: सिर पर धूल ही पड़ती हँ।
ढेरो शुभकामनाएँ!