doordarshan ke labh aur haniyan

इस विषय पर पूरा निबंध लिखकर देना संभव नहीं है। हम आपको कुछ लिखकर दे रहे हैं। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखिए-

दूरदर्शन का प्रभाव चूँकि सीधा पड़ता है इसलिए हमें अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। आज टेलीविज़न के माध्यम से सेक्स व हिंसा परोसी जा रही है, उससे हमारे विद्यार्थीवर्ग हिंसा में ज़्यादा घुलता दिखाई पड़ रहा है। इस कारण समाज में दिन-प्रतिदिन खून-खराबा, लड़ाई-झगड़े, चोरी-चकारी की वारदातें बढ़ती जा रही हैं। 20 साल पहले दूरदर्शन में जो कार्यक्रम प्रस्तुत होते थे, वो समाज में सदैव अच्छी सीख का प्रसार करते थे। परन्तु आज के दूरदर्शन के नैतिक मूल्यों में गिरावट बनी हुई है। उनका मकसद दर्शकों तक अपनी पहुँच व अपनी टी.आर.पी. को बढ़ाना है। इसका विद्यार्थियों पर क्या असर पड़ रहा है, इससे उनको कोई सरोकार नहीं है। कार्यक्रमों में अश्लीलता पर ज़ोर दिया जा रहा है, जो हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है। यह सब पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण करने का ही परिणाम है। इससे हमारी सामाजिक व्यवस्था में बुरा असर पड़ रहा है। विद्यार्थी पथ भ्रष्ट हो रहे हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी टी.वी. विद्यार्थियों पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। लगातार टी.वी. देखने से आँखों संबंधी बीमारी अधिक देखने को मिलती है। टी.वी. देखने के कारण अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते। अधिक देखने के कारण पढ़ाई से लापरवाह हो रहे हैं। ................................

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