Dukh ka aadhikar shirshak par tippni kijiye - 6 Marks question

किसी अपने की मृत्यु पर शोक मनाने का अधिकार आज सिर्फ उन लोगों को है जो आर्थिक रुप से समर्थ हैं। गरीब को तो जीने का भी अधिकार नहीं दिया जाता, तो वो बेचारा शोक क्या मनाएगा। वर्तमान समय में अगर किसी गरीब के घर कोई मृत्यु हो जाती है, तो वह अपनी जमा-पूँजी लगाकर सारे रीति-रिवाजों को पूरा करता है। ताकि उसे समाज की बातें न सुननी पड़ें। लेकिन मुश्किलें उसका पीछा नहीं छोड़तीं। उसे अपनी खराब आर्थिक स्थिति के कारण अपने सारे दुख भुलाकर काम पर जाना पड़ता है। दुविधा देखिए कि यहाँ भी लोग उसकी बेबसी का मजाक उड़ाने से नहीं चूकते। आज लोगों की मानसिकता यह है कि केवल संपन्न वर्ग को ही सारे अधिकार प्राप्त हैं। उन्हें ही खुश होने या दुख मनाने का हक है। वे जैसे चाहे अपना दुख व्यक्त कर सकते हैं। लेखक समाज के उन लोगों पर व्यंग्य करता है जो ऐसे समय पर काम करने वाले व्यक्ति को घृणा की दृष्टि से देखते हैं। वह यह नहीं सोचते कि कोई ऐसे समय पर दुख को छोड़कर क्यों काम पर आता है। उसकी मजबूरी उससे यह करवाती है। इसलिए दुख मनाने का अधिकार तो आर्थिक रूप से संपन्न व्यक्ति को है, गरीब को नहीं। अतः इस पाठ का जो नाम दिया गया है, वह बिल्कुल उचित है।

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