essay on atithi devo bhava

नमस्कार मित्र!
भारत संस्कृति और परंपराओं का देश है। यहाँ लोग परंपराओं का विशेष आदर करते हैं। यह परंपराएँ हमारी जड़ें हैं, जो हमें हमारी संस्कृति ओर देश से बाँधे हुए है। हमारे देश में अतिथि का विशेष सम्मान किया जाता रहा है। कुछ भी हो जाए परन्तु घर आए अतिथि को बिना भोजन किए भेज देना, उचित नहीं माना जाता है। अतिथि को भगवान के समान पूज्यनीय समझा जाता है। घर का सदस्य भूखा रह जाए परन्तु अतिथि भूखा नहीं रहना चाहिए। भारत की यह परंपरा आज भी वैसी ही है। उसमें कुछ परिवर्तन ज़रूर आया है परन्तु वह अब भी विद्यमान है। यदि कोई अतिथि घर में आता है तो उसे बहुत प्रेम से खिलाया-पिलाया जाता है।
यदि अतिथि नाराज़ हुआ तो समझो देवता नाराज़ हो गए हैं। इस अतिथ्यभाव के लिए अनेकों कथाएँ विद्यमान हैं। बहुत प्राचीन समय की बात एक परम दानी राजा रंतिदेव थे। एक बार इन्द्र के कोप के कारण उन्हें परिवार सहित जंगल में क्षरण लेनी पड़ी। दो वक्त की रोटी भी उनके लिए जुटाना कठिन हो गई। 48 दिनों तक उन्हें खाने को कुछ नहीं मिला। 48वें दिन उन्होंने थोडा-सा पानी और भोजन प्राप्त हुआ। वह अपने परिवार के साथ उस भोजन को करने बैठे ही थे कि उनके घर में एक बाह्मण आ पहुँचा। राजा ने अपने घर आए अतिथि को भूखा जान, उसे थोड़ा-सा भोजन दे दिया। वह फिर भोजन करने बैठे ही थे कि उनके द्वार में एक चांडाल अपने कुत्तों के साथ आ पहुँचा। वह और उसके जानवर भूखे और प्यासे थे। अपने द्वार पर आए अतिथि को राजा ने कष्ट में देखा और उसे बाकी बचा सारा भोजन और पानी दे दिया। यह हमारे संस्कृति में रचा-बसा है।
मुम्बई का ताज होटल हमारे अतिथ्य का ज्वलंत उदाहरण है। वहाँ के कर्मचारियों ने आंतकवादी हमले के समय होटल से भागने के स्थान पर देश में आए अतिथियों की रक्षा करना अपना परम कर्तव्य माना। कई कर्मचारियों ने सिर्फ अपने प्राण इसलिए गंवा दिए क्योंकि वह अपने देश में आए अतिथियों की रक्षा और सेवा को अपना धर्म मानते थे। उनके इस कार्य ने पूरे विश्व में भारत का सम्मान बड़ा दिया। हमने यह सिद्ध कर दिया कि हम आज भी अतिथि को देवता के समान मानते हैं। इसीलिए तो हमारे पुराने ऋषि-मुनियों ने कहा है- अतिथि देवो भव:
 
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढेरों शुभकामनाएँ!

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very good

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excellent

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welldone chechi

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thnx... also helped me..!!!!!!!!!!!!

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 thnx u helped me alot thru dis.

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thans for help me

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thanq

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athithi devo bhav hota he athithi ko devtao ki tarah manana

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good essay

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