essay on azadi ka mahtav
आज के संदर्भ में आज़ादी का महत्व कुछ ओर ही है। आज आज़ादी का अर्थ उठने-बैठने, बोलने, खाने-पीने, पहनने में रोक-टोक नहीं चाहिए। यदि किसी को इस विषय में कुछ कह दिया जाए, तो लोग नाराज़ हो जाते हैं या फिर उसे लेक्चर समझकर एक कान से बाहर निकाल देते। यह स्थिति युवाओं में सबसे ज़्यादा देखने को मिलती है। उन्हें यदि कुछ कह दिया जाए, तो वह इसे अपना स्वतंत्रता का हनन मानते हैं और नाराज़ हो जाते हैं। उन्हें आज़ादी के मायने नहीं पता है, बस पिता का बोलना उन्हें हस्तक्षेप लगता है। वह चाहते हैं वे जैसा भी जीना चाहते हैं, उन्हें जीने दिया जाए। फिर वे चाहे किसी भी प्रकार का क्यों न हो। आज का युवा शराब, जुआ, सिगरेट जैसी बुरी आदतों का शिकार हो रहा है। जिसके कारण उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है। परन्तु उन्हें इसकी परवाह नहीं है। उनका मानना है उनको जीवन एक बार मिला है, फिर उसका आनंद ले लेना ही सही है। परन्तु क्या आज़ादी मात्र सुख-सुविधाओं, आनंद का नाम है। अपने आप अपने कर्तव्यों का पालन करना, देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना आज़ादी का प्राय नहीं है।