essay on bharat ki ritu related to poem megh aae

भारत ऋतुओं का देश कहा जाता है। हमारे देश में अनेक ऋतुएँ होती हैं। जितनी ऋतुएँ भारत में हैं, उतनी किसी अन्य देश में नहीं है। भारत में ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद् ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु व वसंत ऋतु मिलाकर कुल छ: ऋतुएँ होती हैं। इन ऋतुओं का समय दो-दो महीने का होता है। हिन्दी तिथि के अनुसार वैशाख व जेठ का महीना ग्रीष्म ऋतु का कहलाता है, वर्षा ऋतु का आषाढ़ व सावन का महीना होता है, शरद् ऋतु का भाद्र व आश्विन का महीना होता है, हेमंत का कार्तिक व अगहन, पूस व माघ का शिशिर का महीना होता है और फाल्गुन व चैत्र का महीना वसंत ऋतु का माना जाता है।

ग्रीष्म ऋतु अपने नाम के अनुसार गर्म व तपन से भरी मानी जाती है। इस ऋतु में रातें छोटी व दिन लम्बे होते हैं। ग्रीष्म ऋतु में मौसमी फलों; जैसे- जामुन, शहतुत, आम, खरबूजे, तरबूज आदि फलों की बहार आई होती है। अत्यधिक गरमी के कारण लोग परेशान व बेहाल हो जाते हैं। लोग इस समय नींबू पानी, लस्सी और बेलपथरी का रस पीकर गरमी को दूर भागने का प्रयास करते हैं।

ग्रीष्म ऋतु के समाप्त होते-होते वर्षा ऋतु अपनी बौछारों के साथ प्रवेश करती है। ग्रीष्म ऋतु के बाद इस ऋतु का महत्व अधिक देखने को मिलता है क्योंकि गरमी से बेहाल लोग इस ऋतु में आराम पाते हैं। वर्षा कि बौछार तपती धरती को शीतलता प्रदान करती है। जहाँ एक ओर लोगों के लिए यह मस्ती से भरी होती हैं, वहीं दूसरी ओर किसानों के लिए बुआई का अवसर लाती है। चावलों की खेती के लिए तो यह उपयुक्त मानी जाती है। यह ऋतु प्रेम व रस की अभिव्यक्ति के लिए अच्छी मानी जाती है। इसे ऋतुओं की रानी कहा जाता है।

वर्षा ऋतु के समाप्त होते-होते शरद ऋतु अपना प्रभाव दिखाना आरंभ कर देती है। वातावरण में ठंडापन आने लगता है। इसमें करवाचौथ, नवरात्रें, दुर्गा-पूजा, दशहरा व दीपावली आदि त्यौहारों का ताँता लग जाता है। इस ऋतु में दिन छोटे होने लगते हैं। शरद् के तुरंत बाद हेमंत ऋतु अपना रूप दिखाना आरंभ करती है। सरदी बढ़ने लगती है। दिन और छोटे होने लगते हैं।

हेमंत के समाप्त होते-होते शिशिर ऋतु का प्रकोप आरंभ हो जाता है। कड़ाके कि ठंड पड़ने लगती है। लोगों का सुबह-सवेरे काम पर निकलना कठिन होने लगता है। अत्यधिक ठंड से व कोहरे से जन-जीवन अस्त-व्यस्त होने लगता है। इस ऋतु में धनिया, मेथी, पालक, मटर, गाजर, बैंगन, गोभी, मूली, सेब, अंगूर, अमरूद, संतरे इत्यादि सब्जियों व फलों की बहार आ जाती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु उत्तम होती है क्योंकि इस ऋतु में पाचन शक्ति मज़बूत होती है। इस ऋतु के आगमन के साथ दिन बड़े व रातें छोटी हो जाती हैं। धूप का असली मज़ा इसी ऋतु में लिया जा सकता है। गर्म चाय के साथ रजाई में बैठकर इस ऋतु का आनंद लेने का अपना ही मज़ा है।

शिशिर ऋतु के जाते ही सबके दरवाजों पर वसंत ऋतु दस्तक देने लगती है। इस ऋतु से वातावरण मोहक व रमणीय बन जाता है। यह ऋतु रसिकों की ऋतु कहलाती है। प्राकृतिक की आभा इसी ऋतु में अपने चरम सौंदर्य पर देखी जा सकती है। चारों तरफ फल व फूलों की बहार देखते ही बनती है। यह ऋतु हर जन-मानस का मन हर लेती है। इसकी ऋतु की सुंदरता के कारण ही इस ऋतु को ऋतुओं का राजा भी कहा जाता है।

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