essay on hamare bhagwan hamare mata pita

इस संसार में ईश्वर का स्थान माता-पिता के बाद पूज्यनीय होता है। ईश्वर परम शक्ति है। इस सृष्टि को वही चलाता है। वो दिखाई दे या न दे परन्तु वह सर्वश्रेष्ठ है। माता-पिता जन्म देते हैं और लालन-पालन करते हैं। बच्चे के वे सबसे बड़े गुरु हैं इसलिए ईश्वर के बाद उनका स्थान है। माता-पिता की छत्र-छाया में रहकर वह विकास पाता है। माता-पिता उस अविकसित पौधे को प्रेम और वात्सल्य रूपी पानी से बढ़ा करते हैं। माता-पिता ही उस पौधे का संसार से परिचय कराते हैं। उसे इस लायक बनाते हैं कि वह संसार में सर उठाकर खड़ा हो सके। उसके बौद्धिक विकास के लिए वह हर संभव कार्य करते हैं। उसे उच्च शिक्षा दिलवाते हैं तथा उसका व्यक्तित्व भी निखारते हैं। उसे संसार में संघर्ष करने के लिए तपाते हैं। ताकि उसकी तपन से जो बने वह शुद्ध सोने के समान खरा हो। माता-पिता की महिमा अपरम पार है। 

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