essay on kindness

मित्र हम इस विषय पर आरंभ करके दे रहे हैं। इसे आप स्वयं विस्तारपूर्वक लिखिए। इससे आपका अच्छा अभ्यास होगा। आप हमें इसे पूरा लिखकर भेज सकते हैं। हम इसे जाँचने में आपकी सहायता करेंगे।-
दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान
तुलसी दया न छोड़िए जब लौ घट में प्राण ||
तुलसीदास के इन वचनों में दया का महत्व प्रकट  होता है। हम मनुष्य दान-धर्म करने में लगे रहते हैं। इस प्रकार हम अपना परमार्थ बनाने में लगे रहते हैं। परन्तु उस परमार्थ का क्या फायदा जब हम सबके प्रति दया का महत्व नहीं रखते हैं। इस संसार में दया ही है, जो हमें परोपकार करने के लिए प्रेरित करती है। हर धर्म मनुष्यों को दया का भाव रखने के लिए प्रेरित करता है। दया न हो, तो यह संसार जीने योग्य न रहे। हर धर्म का मूल ही दया है। दया हमारे अंदर दूसरों के प्रति प्रेम और सेवाभाव का विकास करती है।  

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