essay on ''manusya ka vyavahar chavi banata aur bigadta hai'' [200words]

मनुष्य के जीवन में छवि का बहुत महत्व होता है। उसकी छवि उसके व्यवहार का सूचक होती है। जो मनुष्य दूसरों से सद्व्यवहार करता है। समाज में उसकी प्रशंसा की जाती है। लोग उसका आदर करते हैं और उसकी निकटता पाना चाहते हैं। जो लोग दूसरों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, दूसरों का अपमान करते हैं, झूठ बोलते हैं समाज में उनकी छवि खराब होती है। समाज में छवि बनाना हमारे हाथ में है। हम लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, यह हम पर निर्भर करता है।  गांधी जी ने अपने विनम्र व्यवहार तथा सेवाभाव से पूरे देश का दिल जीत लिया। पूरे देश और विश्व के आगे उनकी ऐसी छवि बनी कि आजतक उसे कोई धूमिल नहीं कर पाया। रावण एक प्रतापी राजा था। उसे चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त था। उसके समान कोई वीर नहीं था। सारे देवताओं को उसने अपने वश में किया हुआ था। लेकिन अपने अहंकारी और अत्याचारी व्यवहार के कारण उसने अपनी छवि को स्वयंही नष्ट कर दिया। लोगों ने उसके ज्ञान और वीरता को भूला दिया। याद रखा तो उसके दुर्व्यवहार को। सदियाँ बीत गई हैं परन्तु आज भी लोग रावण के नाम से घृणा करते हैं। हमें चाहिए कि ऐसा व्यवहार करें, जिससे हमें और दूसरों को सुख प्राप्त हो। हमारी छवि हमारे मरने के बाद भी कायम रहती है। अतः कहा गया है कि मनुष्य अपने व्यवहार से छवि बनाता है और अपने व्यवहार से ही बिगाड़ता है।

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