ESSAY ON MILKHASINGH IN HINDI 750WODRS

मिल्खा सिंह का जन्म १७ अक्टूबर १९३५ में पाकिस्तान के एक छोटे से गाँव गोविंदपुरा में सिख राठौर राजपूत परिवार में हुअ। मिल्खा सिंह के १५ भाई बहन थे जिनमे से ८ भारत पाकिस्तान के बटवारे से पहले मर गए।
बटवारे के समय ये अनाथ थे और इन्होने अपनी आँखों क सामने अपने माता पिता की हत्या होती दखी थी ।
 

भारत आने के बाद वो कुछ दिन अपनी बहन क पास रहे । शुरुआत में ये कुछ गलत कामो में पड़ गए और एक बार बिना टिकट के सफर करते हुए पकडे गए । बाद में इन्होने मिल्टरी में भर्ती होने का प्रयास किआ पर ३ बार असफल रहे और अंत में १९५२ में सफल हुए । यहाँ से उन्होंने खेलो में हिस्सा लेना प्रारभ किया।
 

सिकंदराबाद में हवलदार गुरुदेव सिंह ने उन्हें दौड़ का अभ्यास कराया । १९५८ में ब्रिटिश साम्राज्य और राष्ट्र्मंडल खेलो में ४०० मीटर की प्रतियोगिता में हिस्सा लेके और  स्वर्ण पदक जीत के अपने भविष्य की शरुआत क़ी । १९६२ में  सिंह ने पाकिस्तान के तेज़ दौड़ खिलाडी अब्दुल खालिक को हराके भारत का नाम रोशन किया और इसी कारण उस समय के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री आयुब खान ने उन्हें उनकी तेज़ रफ़्तार देख के “फ्लाइंग सिंह “का ख़िताब दिय।
 

भारत सरकार ने १९५८ में सिंह को पदमश्री अवार्ड  सम्मानित किय। मिल्खा सिंह के जीवन के ऊपर एक फिल्म भी बनाई गई है जिसका नाम “भाग मिल्खा भाग” है।
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