essay on the advantages and dis advantages of science and technology in hindi 100 to 200 words.

नमस्कार मित्र,
पक्ष- आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने जीवन को सरल और सुविधापूर्ण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज जितना विज्ञान का बोलबाला है, शायद ही किसी और का होगा। प्राचीनकाल के मनुष्य का जीवन इतना सरल नहीं था, जितना आज है। मनुष्य के लगातार प्रयासों ने और विज्ञान के चमत्कारों ने उसका स्वरूप ही बदलकर रख दिया है। वर्तमान समय में हम जिस आधुनिक युग में सांस ले रहे हैं, वे विज्ञान की ही देन है। आज घर बैठे ही टीवी के माध्यम से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को एक ही समय में देखा जा सकता है। विज्ञान ने टीवी और रेडियो के माध्यम से दुनिया को एक कमरे में कैद कर लिया है। कंप्यूटर इस युग की सबसे बड़ी देन है। पूरी दुनिया जैसे एक डिब्बे के अंदर समाहित हो गई है। अब घर बैठे आप हज़ारों मील दूर रहने वाले किसी अपने से बातचीत कर सकते हैं। पत्र के इतंज़ार में अब कई-कई दिनों तक आस लगाए रहने की आवश्यकता नहीं है। बस एक मेल किया और कुछ क्षणों में हालचाल जान लिया। हमारे जीवन में छोटी से छोटी वस्तु कहीं न कहीं विज्ञान का ही आविष्कार है। विज्ञान हमारे लिए ऐसा वरदान है, जिसने हमारे जीवन को सुखमय बना दिया है। हमारे दैनिक जीवन में भी विज्ञान ने अपना स्थान बना लिया है। घर में पानी गर्म करने की मशीन से लेकर हवा देने वाला पंखा भी विज्ञान का ही चमत्कार है। पानी ठंडा चाहिए तो फ्रिज का प्रयोग कीजिए। खाना बनाना है, तो गैस का प्रयोग कीजिए। कम समय में खाना बनाना है, तो माइक्रोवेव का प्रयोग कीजिए। डिब्बा बंद खाद्य और पेय पदार्थ विज्ञान की ही देन हैं। अस्पताल से लेकर बाल काटने की दुकान तक में विज्ञान के छोटे-छोटे रूप दिखाई दे जाएँगे। आज विज्ञान के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। 
विपक्ष- परन्तु सिक्के के दूसरे पहलू पर गौर किया जाए, तो इसकी तस्वीर भयावह है। टी.वी. जब से हमारे जीवन में आया, हम कहीं न कहीं बाहरी जीवन से कट गए हैं। इस कारण हमें अनेकों बीमारियाँ घेर लेती हैं। इंटरनेट का आज गुप्त जानकारियों को निकालने के लिए दुरूपयोग हो रहा है। आज हमारे पास सभी सुख-सुविधाएँ माैजूद हैं पर कहीं न कहीं हम आलसी और यंत्र के समान हो रहे हैं। इन सुख-सुविधाओं के कारण हम अपनी योग्यताओं का ह्रास कर रहे हैं। विज्ञान ही विनाशक हथियार और प्रदूषण का कारण रहा है। यह कहीं न कहीं वरदान से अभिशाप में भी बदल रहा है।

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