example of shabda alankar and artha alankar

नमस्कार मित्र,

अंलकार बहुत बड़ा विषय है। इसके सब भागों के बारे में एक बार में विस्तारपूर्वक समझना कठिन है, फिर भी मैं कोशिश करती हूँ।अलंकारों के मुख्यत: दो भेद माने जाते हैं - (1) शब्दालंकार, (2) अर्थालंकार। 

(1) शब्दालंकार के तीन भेद माने जाते हैं- (क) अनुप्रास अलंकार- अनुप्रास अंलकार में एक वर्ण एक से अधिक बार आता है- रघुपति राघव राजा राम 

(ख) श्लेष अलंकार- श्लेष अंलकार में एक ही शब्द के दो या उससे अधिक अर्थ निकलते (चिपके हो) हैं। 

(ग) यमक अलंकार- यमक अलंकार में एक शब्द दो बार आता है परन्तु हर बार उसका अर्थ अलग-अलग होता है। 

(2)अर्थालंकार अलंकार के छ: भेद माने जाते हैं – 

(क) उपमा- उपमा अलंकार में किसी बहुत प्रसिद्ध वस्तु की तुलना किसी अन्य व्यक्ति के रूप, गुण से की जाती है। जैसे- सीया मुख जैसे चंद्र समाना। 

(ख) रुपक- रुपक में रूप और गुण में बहुत अधिक समानता के कारण उपमेय में उपमान का आरोप करके अभेद स्थापित किया जाता है। 

(ग) उत्प्रेक्षा- उत्प्रेक्षा में रूप-गुण की बहुत अधिक समानता के कारण उपमेय में उपमान की कल्पना की जाती है। 

(घ) अतिशयोक्ति- अतिशयोक्ति अलंकार में बढ़-चढ़कर किसी की प्रशंसा की जाती है। प्रशंसा करने वाला व्यक्ति इतनी प्रशंसा कर देता है कि वह लोक कल्पना की सारी सीमाएँ पार कर जाता है। 

(ड़) अन्योक्ति- अन्योक्ति अलंकार में अप्रस्तुत प्रशंसा की जाती है। 

(च) मानवीकरण- इस अंलकार में प्रकृति को मनुष्य के समान कार्य करते हुए दर्शाता जाता है। 

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