explain dis line.....jisse mahanagar ke dark room me ise phir-phir dekh saku

नमस्कार मित्र!

लेखिका इस पंक्ति द्वारा महानगरीय जीवन पर व्यंग्य कसती हैं, वहीं पहाड़ी जीवन की सुंदरता की तारीफ भी करती है। लेखिका के अनुसार गिरती बर्फ का नज़ारा बेहद सुंदर था। ऐसा लगता था मानो सफ़ेद मोती झर-झर रह थे। महानगर में इस तरह का नज़ारा बेहद दुर्लभ होता है। वहाँ इस तरह के सुंदर वातावरण की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। वह इस सुंदरता को अपनी यादों में सहेजकर रखना चाहती थी। ताकि शहर (महानगर) जाकर इन यादों के सहारे वहाँ भली-भांति से रहा जा सके। अर्थात वह कैमरे रूपी आँखों से उस सुंदरता की फोटो को खींचकर ह्दय में जमा करके रखना चाहती थी ताकि महानगर (अपने घर जाकर) जिसे उन्होंने सिनेमाघर की संज्ञा दी थी, वहाँ के अंधकार (प्रदूषण) भरे वातावरण में इस फिल्म या फोटो को देखने का अवसर बार-बार मिल जाएगा।

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dhanayavad mam

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