h mei apne ghar ki mehhta ke geet kyu gaaye gaye hai

मित्र पाठ में लेखक ने अतिथि पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि अतिथि का सम्मान इसी बात में है कि वह कुछ दिन के बाद स्वयं ही अपने घर लौट जाए। यह बात लेखक ने इसलिए कही है कि हमें अपने घर को ही सबसे अधिक महत्व देना चाहिए। दूसरों के घर पर अधिक समय तक अतिथि बनकर रहना उचित नहीं है। 

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