hindi essay on anushasan ka mahatv in 150 words

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन बहुत आवश्यक है। विद्यालय का अनुशासन से युक्त वातावरण बच्चों के विकास के लिए परम आवश्यक है। एक विद्यालय का निर्माण इसलिए किया गया है कि यहाँ के अनुशासन युक्त वातावरण में रहकर अपना विकास करे। सोचो यदि विद्यालय नहीं होता तो अनुशासन की कमी सभी बच्चों में होती। विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता उन्हें आलसी, कामचोर और कमज़ोर बना देती है। वे अनुशासन में न रहने के कारण अपने उद्दंड हो जाते हैं। इससे उनका विकास धीरे होता है। एक विद्यार्थी के लिए यह उचित नहीं है। अनुशासन में रहकर साधारण से साधारण छात्र भी परिश्रमी, बुद्धिमान और योग्य बन जाता है। समय का मूल्य भी उसे समझ में आता है। क्योंकि अनुशासन में रहकर वह समय पर अपने हर कार्य को करता है। जिसने अपने समय की कद्र की वह कभी परास्त नहीं होता है।

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