hindi essay on insaniyat ( humanity )

इंसानियत कहो या मानवता दोनों ही एक भाव के दो नाम है। प्राचीनकाल से ही ऋषि-मुनियों द्वारा लोगों को परोपकार करने के लिए कहा जाता है। वही मनुष्य परोपकार कर सकता है, जिसके अंदर इंसानियत या मानवता का गुण विद्यमान है। निर्दयी और स्वार्थी लोगों में इस गुण का सर्वथा अभाव देखा जाता है। जो मनुष्य किसी अन्य प्राणी को कष्ट में देखकर दुखी हो जाए और उसके हित के लिए कार्य करने को प्रेरित हो उसे मानवता कहा जाता है। मानवता की कोई परीधि या सीमा नहीं है। एक चींटी को पैर के नीचे कुचले जाने से लेकर देश के लिए जान देने तक आने वाले हर भाव का नाम मानवता है। यह वह गुण है, जिसके कारण पृथ्वी रहने योग्य है। यदि हर मनुष्य क्रूर, अत्याचारी या पापी हो जाए, तो इस पृथ्वी और इंसानियत का अंत हो जाए। इंसानियत एक इंसान का दूसरे इंसान पर विश्वास बनाती है। प्रेम, भाईचारे का भाव फैलाती है। इस संसार में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो इंसानियत के नाम कलंक है। परन्तु ऐसे लोगों की कमी भी नहीं है जिनके दम पर इंसानियत आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। किसी भयंकर विपदा के आने पर जब एक पड़ोसी दूसरे पड़ोसी की सहायता के लिए कूद पड़ता है, उसमें इंसानियत का ही भाव होता है। जब कोई किसी घायल को अस्पताल ले जाता है, तो यह प्रमाण है कि अब भी इंसानियत जिंदा है। कितना भी हल्ला मचा लिया जाए कि आज का मनुष्य इंसानियत से रहित है, तो यह गलत होगा।

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