बाल मजदूरी पर निबंध?
भारत एक बहुत बड़ा देश है। यहाँ की आबादी भी बहुत अधिक है। अधिक आबादी के कारण विभिन्न प्रकार की विषमताएँ विद्यमान रहती हैं। हमारे देश भी इसी प्रकार की अनेक समस्याएँ हैं।
भारत में आबादी का एक बहुत बड़ा भाग गरीबी रेखा के नीचे आता है। जिन्हें नौकरी , रोटी , कपड़ा सरलता से नहीं मिल पाते , वे सब इस रेखा के अंदर आते हैं। इस तरह के हालात ऐसे लोगों में अधिकतर पाए जाते हैं , जिनका परिवार बहुत बड़ा होता है और कमाने वाले बहुत ही कम। परिणामस्वरूप हालात ऐसे बन जाते हैं कि इन परिवारों के बच्चे छोटी - छोटी उम्र में कमाने के लिए घर से बाहर जाने लगते हैं। छोटी उम्र में नौकरी करने के कारण ये बाल श्रमिक कहलाते हैं।
लोग इनकी छोटी उम्र को देखते हुए इनसे काम अधिक करवाते हैं और पैसे कम देते हैं। पढ़ने की उम्र में रोटी के लालच में यह हर स्थान पर नौकरी करते देखे जाते हैं। अधिकतर गाँवों से रहने आए परिवारों , गरीब परिवारों , अशिक्षित परिवारों के बच्चे बाल श्रमिक बन जाते हैं। घर के सदस्यों की सोच यही होती है कि परिवार जितना बड़ा होगा कमाने वाले उतने ही अधिक होंगे परन्तु वह यह भूल जाते हैं कि छोटी उम्र में नौकरी करने से बच्चों का विकास रूक जाता है। पढ़ने की उम्र में वह नौकरी करने लगते हैं परन्तु जब नौकरी की उम्र आती है , तो उनके पास नौकरी नहीं होती। क्योंकि बाल अवस्था में कोई भी उन्हें कम पैसे में रखने के लिए तैयार हो जाता था परन्तु बाद में कोई उन्हें नौकरी नहीं देता है। इसका बुरा असर यह पड़ता है कि इन्हें चोरी करनी पड़ती है। बाल श्रमिक का जीवन अच्छा नहीं होता है। उन्हें उनके परिश्रम के अनुसार मेहनताना नहीं मिलता है। मालिक द्वारा अधिक प्रताड़ित किया जाता है।
सरकार ने बाल श्रमिकों की बढ़ती संख्या देखते हुए इस ओर कानूनों में सख्ती की है। सरकार के अनुसार १८ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नौकरी पर रखना दण्डनीय अपराध समझा जाएगा और दण्डभोगी को ६ महीने की कारावास की सज़ा भी मिल सकती है। गरीब परिवारों के बच्चों को सरकार ने सभी सरकारी शिक्षालयों में मामूली शुल्क पर शिक्षा देने के लिए इतंजाम किए भी हैं। स्कूल में ही खाने की व्यवस्था की है ताकि परिवार उनके भोजन की ओर से भी निश्चित हो जाए। हमें चाहिए कि इस ओर हम भी सरकार के साथ कंधे - से - कंधा मिलाकर चलें और कहीं किसी के द्वारा किसी बच्चे को नौकरी पर रखा गया हो तो पुलिस को तुरंत सुचित किया जाए। ऐसा करने से हम उन बच्चों को स्कूल भेज पाएँगे और बच्चों के बचपन को खुशहाल बना पाएंगे।