मानवता ही सच्चा धर्म है। give essay on it.
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
'परोपकार' शब्द का अर्थ दूसरों का उपकार करना है। यह एक ऐसा भाव है, जिसने विश्व में मानवता को जिंदा रखा हुआ है। परोपकार की भावना एक मनुष्य को मनुष्य बनाती है। यदि सभी अपने लिए जीने लगें, तो हमारे और जानवरों के अंदर कोई अंतर नहीं रह जाए। मनुष्य अपनी बुद्धि और भावनाओं के आधार पर ही अन्य प्राणियों से अलग होता है। परोपकार की भावना बहुत आवश्यक है। यह भावना अन्य का उद्धार करती है और उनके जीवन को मुसीबतों से उभार लाती है। जो मनुष्य स्वयं के स्वार्थ को छोड़कर अन्य के कष्टों को दूर करने में लगा रहता है, वह स्वयं के साथ-साथ दूसरों का जीवन स्वर्ग बना देता है। सत्य में यही जीवन है, जो दूसरों के काम आए।
इस संसार में सभी अपने लिए जीते हैं। हमें सोचना चाहिए कि क्या इस तरह का जीना जीवन कहलाता है। ऐसा मनुष्य मानवता के भाव को संसार में जीवित रखता है और मानवता पर लोगों का विश्वास कायम रखता है। कर्ण, दधीचि ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने जनकल्याण के लिए अपना सर्वस्व दे दिया। हम किसी के लिए थोड़ा सा करते हैं और उसके चेहरे पर खुशियाँ छा जाती है। यही जीना है, जो सही अर्थों में सार्थकता प्राप्त कर जाता है।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
'परोपकार' शब्द का अर्थ दूसरों का उपकार करना है। यह एक ऐसा भाव है, जिसने विश्व में मानवता को जिंदा रखा हुआ है। परोपकार की भावना एक मनुष्य को मनुष्य बनाती है। यदि सभी अपने लिए जीने लगें, तो हमारे और जानवरों के अंदर कोई अंतर नहीं रह जाए। मनुष्य अपनी बुद्धि और भावनाओं के आधार पर ही अन्य प्राणियों से अलग होता है। परोपकार की भावना बहुत आवश्यक है। यह भावना अन्य का उद्धार करती है और उनके जीवन को मुसीबतों से उभार लाती है। जो मनुष्य स्वयं के स्वार्थ को छोड़कर अन्य के कष्टों को दूर करने में लगा रहता है, वह स्वयं के साथ-साथ दूसरों का जीवन स्वर्ग बना देता है। सत्य में यही जीवन है, जो दूसरों के काम आए।
इस संसार में सभी अपने लिए जीते हैं। हमें सोचना चाहिए कि क्या इस तरह का जीना जीवन कहलाता है। ऐसा मनुष्य मानवता के भाव को संसार में जीवित रखता है और मानवता पर लोगों का विश्वास कायम रखता है। कर्ण, दधीचि ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने जनकल्याण के लिए अपना सर्वस्व दे दिया। हम किसी के लिए थोड़ा सा करते हैं और उसके चेहरे पर खुशियाँ छा जाती है। यही जीना है, जो सही अर्थों में सार्थकता प्राप्त कर जाता है।