i want an essay on corruption
भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहाँ सबको हर तरह की स्वतंत्रता प्राप्त है। परन्तु हमारे देश में इसी भारत के अंदर तो भ्रष्टाचार का फैलाव दिन-भर-दिन बढ़ रहा है। लोग इसी स्वतंत्रता और हमारे देश के लचीले कानूनों का लाभ उठाते हैं। लोकतंत्र लोगों का तंत्र है। लोग अपनी इच्छा से अपना प्रतिनिधि चुनते हैं। उनका प्रतिनिधि उनका प्रतिनिधित्व संसद में करता है। लोगों को चाहिए कि अपना प्रतिनिधि किसी दल के नाम पर न देकर एक सही और शिक्षित व्यक्ति को दे। परन्तु हमारे यहाँ अपने कीमती वोट को दलों के नाम पर व्यर्थ कर दिया जाता है। लोकतंत्र में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा फैलाव इन्हीं प्रतिनिधियों के द्वारा फैलाया गया है। इन्होंने जनता के विकास के नाम पर हज़ारों लाखों रुपया सरकार से हड़प लिया है। किसी भी तरह का कार्य हो बिना पैसे दिए ये कार्य ही नहीं करते हैं। ये भ्रष्टाचार धीरे-धीरे सरकारी व गैर-सरकारी विभागों तक फैलता चला गया इसकी चपेट में अब पूरा भारत जकड़ चुका है। आप यहाँ से अपना कोई भी काम करवाना चाहते हैं, बिना रिश्वत खिलाए काम करवाना संभव नहीं है। मंत्री से लेकर संतरी तक को आपको अपनी फाइल बढ़वाने के लिए पैसे का उपहार चढाना ही पड़ेगा। स्कूल व कॉलेज भी इस भ्रष्टाचार से अछूते नहीं है। बस इनके तरीके दूसरे हैं। गरीब परीवारों के बच्चों के लिए तो शिक्षा सरकारी स्कूलों व छोटे कॉलेजों तक सीमित होकर रह गई है। नामी स्कूलों में दाखिला कराना हो तो डोनेशन के नाम पर मोटी रकम मांगी जाती है। बैंक जो की हर देश की अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ है वे भी भ्रष्टाचार के इस रोग से पीड़ित हैं। आप किसी प्रकार के लोन के लिए आवेदन करें पर बिना किसी परेशानी के फाइल निकल जाए यह तो संभव नहीं हो सकता। देश की आंतरिक सुरक्षा का भार हमारे पुलिस विभाग पर होता परन्तु आए दिन यह समाचार आते-रहते हैं की आमुक पुलिस अफसर ने रिश्वत लेकर एक गुनाहगार को छोड़ दिया। भारत को यह भ्रष्टाचार खोखला बना रहा है। भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए इऩ उपायों को अपना सकते हैं- १. लोगों को अपने कार्य को करवाने के लिए रिश्वत देना बंद करना पड़ेगा। १. जो लोग कार्य को करवाने के लिए रिश्वत माँगते हैं, उनके विरूद्ध कार्य करना पड़ेगा। क्योंकि हम चुप रह जाते हैं, तो उनका हौसला बढ़ जाता है। इस तरह वह दूसरों का शोषण करने के लिए खुले हो जाते हैं।, ३. सारे देश को इस समस्या पर एकमत होना पड़ेगा। क्योंकि इस समस्या से पार पाना किसी एक व्यक्ति या एक समूह के योगदान से काम नहीं चलेगा। इसके लिए तो सबको एक जुट होना पड़ेगा। ४. सरकार पर इसके अंकुश के लिए दबाव बनाना पड़ेगा।, ५. ठोस कानून बनाने पड़ेगे।, ७. लोगों को जागरूक करना भी बहुत आवश्यक है, जब तक लोगों में इस समस्या की ओर जागरूकता नहीं आएगी यह समस्या जड़ से नहीं उखाड़ी जा सकती है।