i want an essay on khan paan(food) ka badalta swarup.....

नमस्कार मित्र, 

हम आपको आवश्यक सामग्री भेज रहे हैं। इसे अपनी समझ से विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करें। इस तरह आपकी भाषा और निबंध लेखन में निपुणता आएगी।

खानपान की मिश्रित संस्कृति से तात्पर्य है कि आज भारतीय रसोई में अपने गाँव/संस्कृति की ही नहीं अपितु पूरे भारत के खानपान की खुशबू आती है। वह आज एक स्थान, जाति व देश न बनकर पूरे भारत का परिचय कराती है। आप एक दक्षिण भारतीय परिवार के घर में सांभर, डोसा के साथ पिजा, छोले, राजमा, दाल, चाईनीज पता नहीं कितने ही तरह के व्यंजन बनते हुए देख सकते हैं। वैसे ही एक उत्तर भारतीय परिवार में डोसा, पिजा इत्यादि व्यंजन बनते हुऐ देख सकते हैं। खानपान की यही संस्कृति मिश्रित संस्कृति कहलाती है। यह अनेकता में एकता का बोध कराती है। समय की मांग ने खानपान की तसवीर बदलकर रख दी है। आज लोगों के पास समय का नितान्त अभाव है। इसी अभाव के कारण जल्दी पकने वाले भोजन हमारी रसोई का हिस्सा बन रहे हैं। पहले घर में महिलाएँ घंटों मेहनत कर खाना बनाया करती थी। उनके पास उस समय पूरा समय हुआ करता था। लेकिन आज महिलाएँ भी कामकाजी हो गई हैं। समाज में हो रहे इस परिवर्तन ने खानपान में बदलाव किया है। यह बदलाव धीर-धीरे हर परिवार का हिस्सा बनता जा रहा है।

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