i want anuched lekan on barasat in hindi

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ग्रीष्म ऋतु के समाप्त होते-होते वर्षा ऋतु अपनी बोछारों के साथ प्रवेश करती है। ग्रीष्म ऋतु के बाद इस ऋतु का महत्व अधिक देखने को मिलता है क्योंकि गरमी से बेहाल लोग इस ऋतु में आराम पाते हैं। वर्षा कि बौछार तपती धरती को शीतलता प्रदान करती है। जहाँ एक ओर लोगों के लिए यह मस्ती से भरी होती हैं, वहीं दूसरी ओर यह किसानों के लिए बुआई का अवसर लाती है। नाना प्रकार की बीजों की बुआई की जाती है। चावलों की खेती के लिए तो यह उपयुक्त मानी जाती है। गरमी से मुरझाए पेड़, लता-पुष्पों में बहार छा जाती है। जगलों व बागों में कोयलों के मधुर स्वर व मोरों का आकर्षक नृत्य दिखाई देने लगते हैं। कवियों ने तो इस ऋतु को अपनी काव्य रचना के लिए उपयुक्त ऋतु माना है। यह ऋतु प्रेम व रस की अभिव्यक्ति के लिए अच्छी है। सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने वर्षा ऋतु का सुन्दर चित्रण किया है- सुनकर बादलों का हर्ष नाद, मन में छाया जाए उन्माद । वर्षा ऋतु एक तरफ जहाँ तन व मन को प्रसन्नता से भर देती है, वहीं दूसरी तरफ इसके कारण पानी ही पानी भर जाता है। अधिक वर्षा से खड़ी फसलें खराब हो जाती हैं। नदियों में जल का स्तर बढ़ने से बाढ़ व बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है। फिर भी यह ऋतु मन-भावन ऋतु है।

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