i want hindi essay on the topic dust

नमस्कार मित्र!
 
धूल मनुष्य के जीवन का केंद्र है। हिन्दू धर्म में तो पाँच मुख्य तत्वों में से एक महत्व तत्व धरती को माना गया है। धूल का संबध इसी धरती से है। कहा जाता है कि मनुष्य इसी से उत्पन्न होता है और इसी में विलिन हो जाता है। परन्तु यदि धूल के विषय में गहन अध्ययन किया जाए, तो यह तथ्य सत्य भी लगता है।
धूल इसी धूल से मनुष्य का संबंध बचपन से आरंभ होता है। बच्चा इसी धूल में खेलकर बड़ा होता है। बड़ा होने पर इसी धूल में वह मेहनत करता है और लहलता हुई फसल उत्पन्न करता है। ये फसल हमारा भरण-पोषण करती है। यदि वह कृषि को अपना व्यवसाय नहीं बताता तो सड़कों की धूल में इधर-उधर घूमता हुआ, जीवन के संघर्षों से लड़ता है। इस तरह वह अपने लिए एक नए संसार का निर्माण करता है। धूल यहाँ भी उसके साथ रहती है।
गाँवों में तो धूल जैस हर ग्रामीण के साथ रहती है। अखाड़े में चले जाएँ तो पहलवान धूल में लोटते हुए मिल जाएँगे। खेतों में चले जाएँ तो किसान धूल में सने हुए दिख जाएँगे। गायों के समूह के समीप से निकल जाएँ, तो वातावरण गोधूलि से पवित्र होता हुआ दिख जाएगा। घरों में चले जाएँ तो स्त्रियाँ इसी धूल से घर लिपती दिखाई दे जाएँगी। ये धूल कहाँ-कहाँ नहीं है।
धूल हर हमारे साथ शुरू से अंत तक विद्यमान रहती है। यह छोटे-छोटे कणों में विद्यमान रहकर हमें शिक्षा देती है कि मनुष्य को उसकी तरह स्वभाव रखना चाहिए और अपने कर्मों से चारों तरफ विख्यात हो जाना चाहिए, तभी वह अपना यश और नाम संसार में जीवित रह पाएगा।
 
ढेरों शुभकामनाएँ!

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