i want the bhavarth of raheem ke dohe
नमस्कार मित्र!
1. रहीम के अनुसार प्रेम रूपी धागा यदि एक बार टूट जाए, तो दुबारा नहीं जुड़ता है और यदि जुगत लगाकर इसे जोड़ दिया भी दिया जाए, तो उस पर गाँठ आ जाती हैं।
2. रहीम के अनुसार अपना दुख अपने मन में ही रखना चाहिए क्योंकि इस संसार में कोई आपका दुख नहीं बांटता अपितु पीछे सब हँसते ही हैं.
3. रहीम के अनुसार अपने कार्यों को एक-एक करके पूरा करना चाहिए तभी सारे कार्य पूरे हो सकेंगे। उनके अनुसार जैसे पौधों को जड़ से सींचने पर ही फल-फूल मिलते हैं।
4. रहीम जी चित्रकूट की महिमा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि चित्रकूट ऐसा स्थान है, जहाँ अवध के राजा राम आकर रहे थे। इस स्थान की याद दुख में ही आती है और वह यहीं आता है।
5. रहीम जी दोहे की विशेषता बताते हुए कहते हैं कि उनके दोहे दिखने में छोटे हैं। परन्तु उनके अर्थ बहुत गहरे होते हैं। यह ऐसे हीं हैं जैसे नट डंडे पर शीघ्रता से चढ़ जाता है और कुंडली मार के बैठ जाता है।
6. रहीम जी कहते हैं कि कीचड़ का जल बहुत धन्य है क्योंकि उसका जल पीकर छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़ों की प्यास बुझ जाती है। इसे बड़े होने से क्या लाभ अर्थात सागर के होने का क्या लाभ की सभी प्यासे ही लौट आते हैं।
7. मृग मधुर तान पर मोहित होकर शिकारी के हाथों में स्वयं को सौंप देता है। वह आगे कहते हैं कि ऐसे लोगों से यह मृग या पशु धन्य हैं जो धन होने पर भी किसी की सहायता नहीं करते हैं।
8. रहीम कहते हैं कि यदि कोई बात बिगड़ जाती है तो वह दुबारा नहीं बनती है जैसे फटे दूध को मथने से मक्खन नहीं निकलता।
9. रहीम कहते हैं कि बड़ों की तुलना में छोटी चीज़ों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। जहाँ पर सुई का काम होता है वहाँ तलवार की आवश्यकता नहीं होती है।
10. रहीम कहते हैं कि अपनी विपत्ति में अपनी संपत्ति ही अपनी सहायता करती है। यह ऐसे ही है जैसे बिना पानी के कमल को सूरज नहीं बचा सकता है।
11. रहीम कहते हैं कि पानी का बहुत महत्व होता है। बिना पानी के सब बेकार होता है। पानी के बिना सभी व्यर्थ होते हैं फिर चाहे वह मनुष्य हो या कोई ओर। इस दोहे में पानी को सम्मान और पानी के रूप में लिया गया है।