i want the summary for this lesson...plzzz

नमस्कार मित्र,

महावीरप्रसाद द्विवेदी जी का लिखा लेख 'स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन' सशक्त लेखन का परिचय है। यह उस समय लिखा गया लेख है, जब स्त्री शिक्षा का सर्वत्र विरोध किया जाता था। इस विरोध का समर्थन कई विद्वान लोग भी किया करते थे। उनके अनुसार शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात स्त्रियाँ घर-परिवार का सर्वनाश कर देती हैं। सारे कलेश उनके शिक्षित होने के कारण ही होते हैं। उनके अनुसार प्राचीनकाल में स्त्रियाँ शिक्षित नहीं थीं। महावीरप्रसाद जी ने इतिहास में निहित अनेकों उदाहरणों द्वारा यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि प्राचीनकाल में भी स्त्रियाँ शिक्षित हुआ करती थीं। यह लेख उन लोगों के प्रयासों पर भी प्रकाश डालता है, जो स्त्री शिक्षा के हित में थे। आज की स्त्री अपने कार्यक्षेत्र में सबसे आगे है। वे पुरुषों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चल रही हैं। उनकी कार्यक्षमता का लोहा आज हर क्षेत्र में माना जाता है। परन्तु उनके जीवन में यह बदलाव ऐसे ही नहीं आया, इसके लिए महावीरप्रसाद द्वविवेदी जी जैसे अनेकों लोगों का योगदान रहा है। महावीरप्रसाद जी ने इस लेखक को लिखकर उस समय के ऐसे पुरातनपंथियों से लोहा लिया है, जिनसे उलझना स्वयं को चोट पहुँचाने के समान है। परन्तु उन्होंने निष्ठा, निडरता और साहस के साथ स्त्रियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करने वालों को मुँहतोड़ जवाब दिया है। वहीं उन्होंने पुरानी हो चुकी परंपराओं के स्थान पर नई सोच को अपनाकर समाज को बदलने के लिए भी प्रेरित किया है। उनका यह प्रयास सराहनीय है।

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 which one?

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ok thankx a lot ma'am..aapke hisab se iss paath mein sabse important questions knose hoge?? 

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