i. “ईश्वर मेरा चरवाहा है”, अपने निजी जीवन के परिप्रेक्ष्य में आपने इसे किस प्रकार अनुभव किया है ? लिखिए |

मित्र यह प्रश्न आपके निजी अनुभव पर आधारित है। परंतु आपकी सहायता के लिए हम आपको कुछ पंक्तियाँ लिखकर दे रहे हैं। कृपया इसकी सहायता से स्वयं लिखने का प्रयास करें। 
हमारे जीवन से ईश्वर का अस्तित्व भी जुड़ा हुआ है। वो हर जगह विद्यमान है। हमारे द्वारा किए गए हर कार्य में कहीं न कहीं भगवान की मर्ज़ी शामिल होती है। हम जब कभी किसी मुसीबत से घिर जाते हैं तो ईश्वर ही हमें उस विपत्ति से बाहर निकालता है। वह हमें कोई न कोई रास्ता अवश्य दिखाता है। ........................

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