in the poem bus ki yatra how did the author explain the journey in brief
नमस्कार मित्र,
आपकी समस्या के समाधान के लिए हम आपको उत्तर लिखकर दे रहे हैं।
'बस की यात्रा' एक कविता नहीं अपितु हरिशंकर परसाई द्वारा रचित एक व्यंग्य रचना है। इस पाठ में लेखक ने अपनी बस यात्रा का रोमांचक वर्णन किया है। वे और उनके मित्र मजबूरीवश इस बस से सफर करते हैं। बस की हालत इतनी खराब थी कि वो कभी भी सबको स्वर्ग का रास्ता दिखा सकती थी। उसके पुर्ज़े हिल रहे थे। लेकिन कंडक्टर को इस बात की कोई परवाह नहीं थी। उसे तो अपने पैसों से मतलब था। सब लोग अपनी सलामती की प्रार्थना कर रहे थे। रात होते-होते तो स्थिति और भी खराब हो गई। बस की बत्तियाँ काम नहीं कर रही थीं। उसके बाद बस का पहिया पंचर हो गया। कुछ देर बाद यात्रा फिर आरंभ हुई। लेकिन अब किसी को कोई चिंता न थी। सबने हँसी मज़ाक शुरु कर दिया तथा यात्रा का आनंद उठाने लगे।
आशा करते हैं कि दिए गए उत्तर से आपकी समस्या का समाधान हो गया होगा। अगर आपको इस प्रश्न से संबंधित और कोई समस्या हो तो आप हमें Ask and Answer पर भी संपर्क कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपकी समस्या का समाधान करने का प्रयास करेंगे।
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'बस की यात्रा' एक कविता नहीं अपितु हरिशंकर परसाई द्वारा रचित एक व्यंग्य रचना है। इस पाठ में लेखक ने अपनी बस यात्रा का रोमांचक वर्णन किया है। वे और उनके मित्र मजबूरीवश इस बस से सफर करते हैं। बस की हालत इतनी खराब थी कि वो कभी भी सबको स्वर्ग का रास्ता दिखा सकती थी। उसके पुर्ज़े हिल रहे थे। लेकिन कंडक्टर को इस बात की कोई परवाह नहीं थी। उसे तो अपने पैसों से मतलब था। सब लोग अपनी सलामती की प्रार्थना कर रहे थे। रात होते-होते तो स्थिति और भी खराब हो गई। बस की बत्तियाँ काम नहीं कर रही थीं। उसके बाद बस का पहिया पंचर हो गया। कुछ देर बाद यात्रा फिर आरंभ हुई। लेकिन अब किसी को कोई चिंता न थी। सबने हँसी मज़ाक शुरु कर दिया तथा यात्रा का आनंद उठाने लगे।
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