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आरती शाहा गुप्ता पहली भारतीय महिला तैराक थी, जिन्होंने इंग्लिश चैनल पार करने का साहस किया था। इनका जन्म पश्चिम बंगाल में 24 सिंतबर, 1940 में हुआ था। इनके पिता ने इन्होंने चार वर्ष की आयु में ही तैराकी सिखाने का फैसला लिया, जो आगे चलकर मील का पत्थर साबित हुआ। ये शीघ्र ही तैराकी में प्रवीण हो गई। इनकी इस प्रतिभा को देखकर सचिन नाग प्रभावित हुए और आगे चलकर इन्होंने इन्हें प्रशिक्षित किया। सन 1949 में राज्य की प्रतियोगिता जीती और देश के सारे तैराकी रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। 1959 में इन्होंने इंग्लिश चैनल पार करके पहली भारतीय तथा एशिया महिला का खिताब जीता। इन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि महिलाएँ चाहे तो कुछ भी कर सकती है। अपनी इस उपलब्धी के साथ इन्होंने भारत को विश्वस्तरीय पहचान दिलायी। भारत द्वारा 1960 को इनकी योगदान के लिए इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। 1994 में 23 अगस्त के दिन पीलिया बीमारी से ग्रसित होने के कारण यह इस संसार से विदा हो गई।