kavita ka pratipagya kya hai?

Hi Akshit,
आत्मत्राण कविता का प्रतिपाद्य है कि चाहे कितना मुशिकल समय हो, कितनी विपदाएँ जीवन में हो परन्तु हमारी आस्था भगवान पर बनी रहे क्योंकि जीवन में थोड़ा-सा दुख आते ही मनुष्य का भगवान पर से भरोसा हटा जाता है परन्तु कवि इसके विपरीत भगवान से प्रार्थना करता है की आप बस मेरे मन में अपने प्रति विश्वास को कम मत होने देना।
 
मैं आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
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ढेरों शुभकामनाएँ !

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 aatmatran bahut achi kavita hain . 

:) (0

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