समास व अलंकार के भेद kese phechana jaye व उनका विग्रह केसे किया
Hi Purnima,
समास वे शब्द होते हैं जो दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने होते हैं। वैसे समास शब्द अन्य शब्दों की ही भांति होते हैं परन्तु किसी कारण से इनका निर्माण होता है। देखिए कैसे- शिव भगवान ने सागर मंथन से निकले जहर को स्वयं पी लिया था। उस जहर के प्रभाव ने उनके कंठ को नीला कर दिया, जिससे उनका नाम 'नीलकंठ' पड़ा। यह नाम दो शब्दों के योग से बना है नीला (नीला रंग) + कंठ (गला) = नीलकंठ जिसका नीला कंठ है अर्थात् शिव। यह समास शब्द हुआ।
इसके विपरीत अंलकार से किसी कविता, पद और दोहे में सुन्दरता, लय व चमत्कार उत्पन्न किया जाता है तथा उसे सजाया व संवारा जाता है। देखिए कैसे-
चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही है जल थल में।
इस पंक्ति में 'च' वर्ण को बार-बार प्रयोग कर कवि ने अनुप्रास अंलकार का सुन्दर रुप दर्शाया है।
अनुप्रास अंलकार के प्रयोग ने इस पंक्ति को कितना लयमय, सुन्दर व चमत्कारिक बना दिया है। एक वर्ण का प्रयोग एक से अधिक बार अनुप्रास अंलकार में ही होता है। इसी तरह हर अंलकार अलग-अलग नियम लिए होता है।
अगर साधारण शब्दों में कहा जाए तो समास अन्य शब्दों की ही तरह होते हैं परन्तु उनका निर्माण किया गया होता है। यह दो शब्दों से मिलकर बने होते हैं और यही इनकी पहचान होती है। इसके विपरीत अंलकार एक तरह से फ़ार्मूले होते हैं जिनका काव्य में प्रयोग कर काव्य को सजाया व संवारा जाता है।
आपको यह तभी समझ में आएँगे जब आप इनका स्वयं अभ्यास करेगीं। बिना अभ्यास के यह समझे नहीं जा सकते है। बस इतना अवश्य याद रखना की समास शब्द दो शब्दों से मिलकर बनता है और अंलकार एक फ़ार्मूला है जो काव्य को लयमय, सुन्दर व चमत्कारिक बनाता है।
मैं आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढेरों शुभकामनाएँ !