kya koi mujHE megh aaye ki vyakhya likhnr me madat kr sakta hai!!

main us vyakti ka abhari rahoonga....kripya jaldi bataye

Hi Karan,
(1) सक्सेना जी कहते हैं मेघ ऐसे बन-ठन कर सज-सवँर के आ रहे हैं मानों गाँव में दामाद सज-सवँर कर आ रहे हो। मेघ रूपी दामाद के आने की खुशी में ठंडी हवा नाचती-गाती उसके आगे-आगे मचल रही है। और सारे गाँव में खबर फैल रही है। तेज हवा के चलने से घर की खिड़कियाँ, दरवाजें खुलने लगते हैं। कवि कहते हैं ऐसा लगता है दामाद को देखने के लिए गली-गली में औरतें खिड़कियाँ दरवाजें खोल रही हैं। वे यह देख रही हैं कि हमारे गाँव में शहर से किसका दमाद मेहमान बनकर आया है। दामाद रूपी बादल बन-ठन कर आए हैं।
(2) कवि कहते हैं कि तेज हवाओं से पेड़ झुक जाते हैं। उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि दामाद रूपी बादलों को लोग कभी झुककर तो कभी उचकर देखते हैं। बादल रूपी दामाद को देखकर गाँव की आँधी रूपी अन्य स्त्रियाँ सूचना देने के लिए चल रही हैं और धूल घाघरा उठाए भाग रही है। अर्थात्‌ आँधी के कारण धूल का फैलाव ऐसा लग रहा है मानों किसी स्त्री का घाघरा हो। नदी भी मेहमान को आता देखकर अपनी तिरछीं नजरें उठाकर अचानक ठिठक गई है, मानों झेंप गई हो और उसका घूँघट सरक गया हो। तेज हवा से नदी की धारा रह-रहकर उछल रही है। ये सब मेघों के आने से हो रहा है।
(3) तेज हवा के कारण पीपल का पेड़ हिल रहा है। वह ऐसे प्रतीत हो रहा है मानों दामाद के स्वागत के लिए घर के बूढ़े व्यक्ति ने आगे बढ़कर हल्का-सा झुक कर स्वागत किया हो। तभी दरवाजे के पीछे से नायिका रूपी लता ने शिकायत की, इस बार आपको हमारी याद एक बरस बाद आई है। अर्थात्‌ हवा चल रही है। हवा में हिलती लता मानों बादलों से शिकायत कर रही है। मारे खुशी के वह चहक रही है। बादल रूपी दामाद के पैरों को धुलाने के लिए ताल (तालाब) भी जल ले आया है। अर्थात्‌ तेज हवा के कारण तालाब का जल से आकाश को छुना चाहता है।
(4) बादलों के छाने से सारे आकाश का रंग गहरा हो गया है। आकाश में बिजली चमक रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों प्रियतम के आने से प्रेयसी का तन-मन दमकने लगा है। सक्सेना जी कहते हैं कि बादलों के छाने से और बिजली के चमकने से यह भ्रम मिट गया कि वर्षा नहीं होगी। अर्थात्‌ इस बार दामाद वादा नहीं कर रहे हैं अपितु अपनी प्रेयसी से मिलने सच में आए हैं। अतः मन में समाया सारा भ्रम जाता रहा है। कवि कहते हैं कि वर्षा होने लगी है। ऐसा लगता है मानों प्रियतम को देखकर प्रेयसी की आँखों से आँसू वर्षा के रूप में बहने लगे हैं।
मैं आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
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 (1) सक्सेना जी कहते हैं मेघ ऐसे बन-ठन कर सज-सवँर के आ रहे हैं मानों गाँव में दामाद सज-सवँर कर आ रहे हो। मेघ रूपी दामाद के आने की खुशी में ठंडी हवा नाचती-गाती उसके आगे-आगे मचल रही है। और सारे गाँव में खबर फैल रही है। तेज हवा के चलने से घर की खिड़कियाँ, दरवाजें खुलने लगते हैं। कवि कहते हैं ऐसा लगता है दामाद को देखने के लिए गली-गली में औरतें खिड़कियाँ दरवाजें खोल रही हैं। वे यह देख रही हैं कि हमारे गाँव में शहर से किसका दमाद मेहमान बनकर आया है। दामाद रूपी बादल बन-ठन कर आए हैं।

(2) कवि कहते हैं कि तेज हवाओं से पेड़ झुक जाते हैं। उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि दामाद रूपी बादलों को लोग कभी झुककर तो कभी उचकर देखते हैं। बादल रूपी दामाद को देखकर गाँव की आँधी रूपी अन्य स्त्रियाँ सूचना देने के लिए चल रही हैं और धूल घाघरा उठाए भाग रही है। अर्थात्‌ आँधी के कारण धूल का फैलाव ऐसा लग रहा है मानों किसी स्त्री का घाघरा हो। नदी भी मेहमान को आता देखकर अपनी तिरछीं नजरें उठाकर अचानक ठिठक गई है, मानों झेंप गई हो और उसका घूँघट सरक गया हो। तेज हवा से नदी की धारा रह-रहकर उछल रही है। ये सब मेघों के आने से हो रहा है।
(3) तेज हवा के कारण पीपल का पेड़ हिल रहा है। वह ऐसे प्रतीत हो रहा है मानों दामाद के स्वागत के लिए घर के बूढ़े व्यक्ति ने आगे बढ़कर हल्का-सा झुक कर स्वागत किया हो। तभी दरवाजे के पीछे से नायिका रूपी लता ने शिकायत की, इस बार आपको हमारी याद एक बरस बाद आई है। अर्थात्‌ हवा चल रही है। हवा में हिलती लता मानों बादलों से शिकायत कर रही है। मारे खुशी के वह चहक रही है। बादल रूपी दामाद के पैरों को धुलाने के लिए ताल (तालाब) भी जल ले आया है। अर्थात्‌ तेज हवा के कारण तालाब का जल से आकाश को छुना चाहता है।
(4) बादलों के छाने से सारे आकाश का रंग गहरा हो गया है। आकाश में बिजली चमक रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों प्रियतम के आने से प्रेयसी का तन-मन दमकने लगा है। सक्सेना जी कहते हैं कि बादलों के छाने से और बिजली के चमकने से यह भ्रम मिट गया कि वर्षा नहीं होगी। अर्थात्‌ इस बार दामाद वादा नहीं कर रहे हैं अपितु अपनी प्रेयसी से मिलने सच में आए हैं। अतः मन में समाया सारा भ्रम जाता रहा है। कवि कहते हैं कि वर्षा होने लगी है। ऐसा लगता है मानों प्रियतम को देखकर प्रेयसी की आँखों से आँसू वर्षा के रूप में बहने लगे हैं।
 
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