kya nari sashktikaran ho rahi hai?
आज़ादी से पूर्व स्त्रियों की दशा बहुत दयनीय थी। उन्होंने पर्दे पर रखा जाता था तथा उनको शिक्षा-दीक्षा पाने का अधिकार नहीं था। वह स्वयं के लिए कोई निर्णय नहीं ले सकती थी। विवाह से पूर्व पिता की तथा विवाह के बाद पति उसके निर्णय लेता था। विवाह से पूर्व मायका तथा विवाह के बाद ससुराल की चारदीवारी उनका जीवन थी। परन्तु जैसे-जैसे लोगों ने आज़ादी का अर्थ समझा, वहीं औरतों को भी आज़ादी का अधिकारी माना। धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार हुआ। शिक्षा ने उनके जीवन को नयी दिशा प्रदान की। अब उनका क्षेत्र घर की चारदीवारी नहीं था अपितु अब वे सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक तौर पर सदृढ़ होने लगी हैं। यहीं से महिला सशक्तिकरण का आरंभ होता है। अपने को इन सभी क्षेत्रों में पुरुषों के समान बनाना और अपनी स्थिति को मजबूत और मजबूत करना ही सशक्तिकरण कहलाता है।